बक्सर. जिले में धान की खेती 96796.8 हेक्टेयर में की जानी है. इसको लेकर अब तक 5171.95 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा डाला जा चुका है. यह जानकारी जिला कृषि विभाग से प्राप्त हुई है.
मिली जानकारी के अनुसार जिले में अब तक 53.43 फीसदी धान का बिचडा डाला जा चुका है. विभाग के अनुसार, बिचड़ा डालने की प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है, परंतु वर्षा की अनियमितता और मॉनसून की धीमी गति के कारण किसानों को परेशानी हो रही है. मौसम विभाग के अनुसार किसानों को बिचड़ा डालने में देरी करनी पड़ रही है, जिससे लक्ष्य की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है.वैज्ञानिक विधि से नर्सरी तैयार करें किसान
जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश शंकर राय ने बताया कि जिले में धान की रोपनी की तैयारी के लिए सभी जरूरी संसाधन बीज, खाद, कीटनाशक और तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी जा रही है. विभाग द्वारा किसानों को समय-समय पर जागरूक भी किया जा रहा है कि वे वैज्ञानिक विधियों से धान की नर्सरी तैयार करें, ताकि फसल अच्छी हो और उपज भी बेहतर हो. कम खर्चे में अधिक उपज हो सके इसको लेकर विभाग द्वारा लगातार किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. किसान जैविक खेती करें, ताकि आज का नहीं कल का भी सोचना है. आज तो हम अधिक उर्वरक डालकर अधिक उपज तो कर लेते हैं, लेकिन हम सभी की भूमि बंजर होती जा रही है. लोगों को अपने खेत को बंजर होने से बचाने के लिए हम सभी को जैविक खेती को ही अपनाना होगा.किसानों के समक्ष कई चुनौतियां
कई किसानों का कहना है कि इस वर्ष मौसम ने साथ नहीं दिया. जून माह के प्रारंभिक सप्ताह में गर्मी अधिक रही और बारिश न होने के कारण खेतों में बिचड़ा डालना मुश्किल हो गया. उमरपुर, बोकसा, सोनवषा , चिल्ली, ब्रह्मपुर, नावानगर, सिमरी, चौसा जैसे प्रखंडों के कई किसान अब भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन मंगलवार को थोड़ी-सी बारिश हुई तो किसानों को उम्मीद जगी कि अब बारिश होगी तो खेती करने में सुविधा होगी. कुछ क्षेत्रों में जहां आंशिक बारिश हुई, वहां के किसानों ने बिचड़ा डालना शुरू किया है. उमरपुर के किसान डॉ. राजेंद्र राय ने बताया कि हम लोगों ने खेत में बिचड़ा डाल तो दिया है, लेकिन अगर नियमित बारिश नहीं हुई, तो पौध निकलने में समस्या होगी.तकनीकी सहायता की आवश्यकता
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि इसी तरह मॉनसून की चाल धीमी रही, तो बिचड़ा डालने और रोपनी के कार्य में देरी होगी, जिससे धान की उत्पादकता पर भी असर पड़ेगा. विशेषज्ञ किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे वैकल्पिक सिंचाई के साधनों जैसे डीजल पंप या ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करें, ताकि समय पर बिचड़ा तैयार हो सके. कृषि विभाग द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों में किसान प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उन्हें समय प्रबंधन, उन्नत बीजों का चयन, खेत की तैयारी और बिचड़ा डालने की विधियों के बारे में बताया जा रहा है.लक्ष्य प्राप्ति की उम्मीद
हालांकि अब तक सिर्फ 53 प्रतिशत बिचड़ा ही डाला गया है, फिर भी कृषि विभाग को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यदि मॉनसून सामान्य रहा, तो शेष लक्ष्य को पूरा किया जा सकेगा. अधिकारियों का कहना है कि जुलाई के पहले सप्ताह तक बिचड़ा डालने की प्रक्रिया पूर्ण हो जानी चाहिए, ताकि समय पर रोपनी हो सके. जिले में धान की खेती एक प्रमुख कृषि गतिविधि है, जिससे लाखों किसानों की आजीविका जुड़ी हुई है. वर्तमान में मौसम की अनिश्चितता के बावजूद किसान प्रयासरत हैं और कृषि विभाग भी लगातार सहयोग कर रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है