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भीषण गर्मी में चार दिनों से सोवा गांव में जलापूर्ति ठप, पानी को लेकर मचा त्राहिमाम

प्रखंड क्षेत्र के सोवा गांव में पेयजल संकट विकराल रूप लेता जा रहा है. गांव में स्थित जलमीनार में खराबी हुए चार दिन से अधिक बीत चुके हैं.

डुमरांव. प्रखंड क्षेत्र के सोवा गांव में पेयजल संकट विकराल रूप लेता जा रहा है. गांव में स्थित जलमीनार में खराबी हुए चार दिन से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन अब तक जल आपूर्ति बहाल नहीं हो पायी है. झुलसा देने वाली गर्मी और उमस के बीच ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लोगों को अपने दैनिक कार्यों के साथ-साथ मवेशियों के लिए भी पानी का प्रबंध करना मुश्किल हो रहा है. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि जलमीनार के सहारे ही पूरे गांव में पेयजल की आपूर्ति होती है. मगर बीते चार दिनों से जलमीनार पूरी तरह ठप है. जिनके घरों में चापाकल या सबमर्सिबल की सुविधा है, वे किसी तरह अपना काम चला ले रहे हैं, लेकिन अधिकांश लोगों को पड़ोसियों से पानी मांगकर या दूर-दराज के दूसरों के घरों से पानी लाकर अपनी जरूरतें पूरी करनी पड़ रही हैं. ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस विकट परिस्थिति में भी पंचायत की मुखिया मनोरमा देवी पूरी तरह चुप्पी साधे बैठी हैं. कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब ग्रामीणों ने इस मामले में मुखिया से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. वहीं इस संबंध में जब उनके मोबाइल पर फोन किया गया तो उनसे संपर्क नहीं होने के कारण उनकी राय नहीं ली जा सकी. एक स्थानीय महिला ने बताया, गांव में बच्चों को पीने तक का पानी नहीं मिल रहा है. ऐसे में मवेशियों को कैसे पानी पिलाएं. ग्रामीणों का आरोप है कि जलमीनार की देखरेख समय पर नहीं की जाती, जिससे हर कुछ महीने में इसी तरह की समस्या उत्पन्न होती है. पिछले वर्षों में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी. गांव में जल संकट के कारण महिलाओं और बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. महिलाएं सुबह-सुबह और शाम को पानी की तलाश में निकलती है. क्या कहते हैं ग्रामीण ऐसा लग रहा है जैसे हम लोग इस सिस्टम से बाहर कर दिये गये हैं. न जनप्रतिनिधि सुन रहे हैं, न ही प्रशासन कोई पहल कर रहा है. गर्मी अपने चरम पर है और हालात बद से बदतर होते जा रहे है. सोनू कुमार पिछले चार दिनों से हमारे गांव में पानी की बूंद-बूंद के लिए हाहाकार मचा हुआ है. जलमीनार खराब पड़ा है, लेकिन अब तक कोई जांच नहीं हुई. मवेशी पानी के बिना तड़प रहे हैं और हमें दूसरे के घरों से पानी लाना पड़ रहा है. शिवनंदन महतो गर्मी इतनी तेज है कि बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, ऊपर से पानी नहीं मिल रहा है. जिनके पास सबमर्सिबल है वे तो किसी तरह गुजारा कर रहे हैं, लेकिन हम जैसे लोगों को दूसरों के घर जाकर पानी मांगना पड़ रहा है. बीरेंद्र यादव जलमीनार को खराब हुए चार दिन हो गये, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में लोगों के साथ साथ मवेशियों के लिए पानी का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है. संतोष चौरसिया

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