राजपुर. प्रखंड के सभी गांव में इन दिनों खेतों में चारों तरफ जुताई कर दी गयी है. तेज धूप एवं अधिक तापमान की वजह से जोते गए खेतों में घास का तिनका भी नहीं रहा गया है. ऐसे में कुछ जगहों पर किसान अपने खेतों में धान रोपनी करने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर एवं डीजल इंजन चलाना शुरु कर दिए हैं. खेत में पहले से नमी नहीं होने से सिंचाई करने में काफी समय लग रहा है. एक बीघा खेत की सिंचाई करने में लगभग आठ से दस घंटे तक लग रहा है. ऐसे में लगातार पानी का खिंचाव होने से भूमिगत जल स्तर काफी नीचे चला गया है. गर्मी व तेज धूप होने से तलाब, पोखरे पहले ही सुख चुके हैं. जिससे पिछले एक माह पूर्व में जल स्तर लगभग 15 फुट नीचे खिसक गया था. अब पानी का अधिक दोहन होने से इसका जल स्तर और नीचे चला गया है. राजपुर पश्चिमी क्षेत्र के खीरी, नागपुर,कजरिया, मंगराव ,संगराव ,रामपुर, निकृष, खरगपुरा सहित अन्य गांव में चापाकल धीरे-धीरे जवाब देना शुरू कर दिया है. इन गांवो में मौजूद संरक्षित किए गए कुएं का पानी भी नीचे चला गया है. ग्रामीण बालगुली राम,राजेन्द्र राम,दयानंद मौर्य, ओमप्रकाश सिंह, विनय पांडेय, महेंद्र मौर्य सहित अन्य लोगों ने बताया कि पहले सावन का महीना आरंभ होने से पूर्व ही समय पर वर्षा हो जाने से खेतों में नमी बन जाती थी. खेतों में पानी भर जाने के बाद धान की रोपनी शुरू होती थी. जलवायु में हो रहे परिवर्तन से धरती पर इसका बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. इस बार आषाढ़ का महीना पूरी तरह से समाप्त हो गया है. फिर भी बारिश का औसत प्रतिशत बहुत ही कम है. ऐसे में खेतों में नमी नहीं रह गया है. धूप होते ही खेतों की जुताई कर दी गयी है.खेतों से नमी पूरी तरह से समाप्त हो गया है. इस समस्या को लेकर आमजन से लेकर कृषि वैज्ञानिक भी काफी चिंतित हैं. मौसम विभाग ने अपने जारी रिपोर्ट में बताया है कि अभी अगले तीन दिन बाद सामान्य बारिश होने की संभावना है. मानसून की बनी ट्रफ लाइन खिसक जाने से सावन के महीने में भी तापमान 38 डिग्री एवं गर्म हवा चल रहा है. यह आने वाले समय के लिए भयावह स्थिति का संकेत है. अगर अभी पानी को बचाकर नहीं रखेंगे तो आने वाला समय पानी के लिए विकराल समस्या उत्पन्न कर सकता है.
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