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BRABU के विसी व कुलसचिव समेत चार पर FIR दर्ज, केके पाठक के विभाग के आदेश पर हुई कार्रवाई, जानें पूरा मामला

शिक्षा विभाग ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (बीआरए बिहार विवि) मुजफ्फरपुर के कुलपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था. कुलपति के साथ ही विवि के कुलसचिव, वित्त पदाधिकारी और वित्तीय सलाहकारों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज कराने के आदेश दिया गया था.

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने गुरुवार को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ मुजफ्फरपुर के विवि थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है. शिक्षा विभाग के आदेश पर तिरहुत के आइडीडीई द्वारा विवि थाने में कुलपति के अलावा कुलसचिव, वित्त पदाधिकारी व वित्तीय सलाहकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गयी है. इन सभी पर भ्रष्टाचार व वित्तीय गड़बड़ी के आरोप हैं.

शिक्षा विभाग ने 48 घंटे का दिया था समय

बता दें कि शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशक ने आरडीडीई को कुलपति समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए 48 घंटे का समय दिया था, जिसकी मियाद शुक्रवार को पूरी हो रही थी. रात करीब पौने आठ बजे विश्वविद्यालय थाने से निकले आरडीडीइ ने कहा कि मुख्यालय के आदेश का पालन किया गया है. कुलपति समेत चार लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.

26 सितंबर को दिया गया था एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश

वहीं इससे पहले शिक्षा विभाग ने 26 सितंबर को बीआरए बिहार विवि के कुलसचिव को दोषी पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया था. इस आदेश के बाद भी कुल सचिव ने दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करायी. साथ ही वित्तीय अनियमितताओं को भी छुपाने का प्रयास किया. इस तरह वित्तीय अनियमितताओं में उन्होंने सहयोग भी किया. इसलिए विभाग ने कुल सचिव के खिलाफ भी एफआईआर का आदेश दिया था.

मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति पर भी लग चुका है वित्तीय अनियमितता का आरोप

प्रदेश में इससे पहले मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ एफआईआर करायी गयी थी. उनके ऊपर भी काफी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे. उनका मामला अभी कोर्ट में है और वे जमानत पर हैं.

बीआरए बिहार विवि के कुलपति पर यह है आरोप

शिक्षा विभाग के वेतन निर्धारण कोषांग में वित्त विभाग से प्रतिनियुक्त आडिटरों की तरफ से वित्तीय अनियमितता की पुष्ट रिपोर्ट दिये जाने के बाद एफआइआर कराने के ये आदेश दिये गये हैं. यह साफ है कि विश्वविद्यालय को राज्य सरकार की तरफ से दिये गये वित्तीय अनुदानों का नियमानुसार उपयोग नहीं हो रहा है. वित्तीय अनियमितताएं स्पष्ट तौर पर दिख रही हैं. लिहाजा प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ साथ इस मामले में जांच कराने की नितांत जरूर है. शिक्षा विभाग ने अगस्त के तीसरे सप्ताह में विश्वविद्यालय में ऑडिट जांच करायी गयी थी.

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यह अनियमितताएं दर्ज की गयी थी

  • मेसर्स दिशा इंटरप्राइजेज दामुचक मुजफ्फरपुर से लगभग 38 लाख की स्टेशनरी के सामान बिना निविदा प्रक्रिया के लिये गये.गोपनीय प्रिंटिंग प्रेस टौर्च से से बिना निविदा एवं बिना इकरारनामा के प्रश्नपत्रों की छपाई के बदले 2017 से 2018 तक उसे कुल 58.62 लाख का भुगतान किया गया. इस मामले में क्रय समिति का अनुमोदन भी नहीं है. यही नहीं, 2017-2020 में किये गये खर्च के लिए एकरारनामा तीन वर्षों के बाद नौ अप्रैल, 2021 को किया गया है.

  • इसी तरह एमएस समंता सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड पटना को 2021-22 एवं 2022-23 में सुरक्षा संबंधी सेवा प्राप्त करने के लिए 19 लाख रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन सेवा लेने से संबंधित संचिका उपलब्ध नहीं करायी गयी. डॉ मनोज कुमार टेबुलेशन डायरेक्टर (संस्कृत विभाग) की तरफ से लगभग 53.41 लाख रुपये अग्रिम प्राप्त किये गये थे. जिसके विरुद्ध उनके द्वारा मात्र लगभग दस लाख 97 हजार के ही वाउचर दिये गये. यह तथ्य पूरी तरह संदेह पैदा हो गया कि राशि का दुरुपयोग हुआ है.

  • 2021-22 एवं 2022-23 के वाउचर के नमूना जांच से स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालय की तरफ से 6.53 लाख की सामग्री की खरीद ऐसी दुकान या फर्म से की गई है, जो निबंधित नहीं हैं. विवि की तरफ से तीन तरह के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को रखा गया है. इन्हें 19,900 एवं नियत वेतन 10,200 एवं श्रम विभाग द्वारा निर्धारित दर पर प्रतिदिन के आधार पर मानदेय दिया जाता है. इन कर्मियों की निुयक्ति किस आधार पर की गई है, शिक्षा विभाग को जानकारी नहीं मिल पायी.यही नहीं विश्वविद्यालय के पास ऐसे कर्मचारियों का कोई आंकड़ा भी नहीं उपलब्ध था.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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