गोपालगंज. यह चौकाने वाला तथ्य है कि गोपालगंज शहर को स्वच्छ रखने के लिए प्रतिमाह करीब 25 लाख रुपये खर्च होता है. इसके बाद भी शहर नेशनल स्वच्छता की सर्वे रिपोर्ट में 720 रैंकिंग रहा, जबकि बिहार में 82वें रैंक पर रहा. स्वच्छता का रैंक सामने आने के बाद प्रभात खबर की टीम शहर की स्वच्छता व स्मार्ट सिटी बनाने के प्रति लोगों के बीच उनकी भावनाओं को टटोला तो लोगों में गुस्सा दिखा. लोगों ने खुलकर नगर परिषद के सफाई इंतजाम पर सवाल उठाये. लोगों ने कहा कि शहर कागज में चकाचक है. धरातल पर जब आयेंगे तो स्थिति नारकीय मिलेगी. 11 वर्ष पूर्व दो अक्तूबर को गांधी जयंती पर शहर में तामझाम के साथ शुरू किये गये स्वच्छता अभियान से न आम जनता जुड़ पायी और न ही सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं ने इसे गंभीरता से लिया. नतीजा है कि अपना शहर बीमार होकर रह गया है. शहर के लोगों को भी इस बात का मलाल है कि अपना शहर भी स्वच्छ व स्मार्ट नहीं बन पा रहा है. इसके लिए शहर के लोगों को भी आगे आकर सहयोग करने की जरूरत है. शहर को स्वच्छ रखने में आप भी एक जिम्मेदार शहरी बनें. अपनी जिम्मेदारियों को समझें और शहर को क्लीन करने में थोड़ा-सा पहल करें. आपकी पहल शहर को बीमार होने से रोक सकती है.
न जनता जागी न ही जनप्रतिनिधि हुए सजग
धीर-धीरे स्वच्छ भारत अभियान आगे बढ़ते गया. अब तो 11 साल बीत गये. पर, अभियान को लेकर न जनता जगी और न जनप्रतिनिधि सजग हुए. अभियान की शुरुआत होने पर सांसद हो विधायक या फिर वार्ड पार्षद, सभी सक्रिय दिखे, मगर दो कदम चलने के बाद ही सो गये. ग्रास रूट पर वार्ड पार्षदों पर अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी थी,. लेकिन वे अपनी जवाबदेही नहीं निभा पाये. वार्डो की सफाई से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े वार्ड पार्षद अभियान से नहीं जुड़ पाये. विधायक एवं सांसद ने अभियान शुरू होने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अभियान के प्रति जोश दिखाया. सड़कों पर झाड़ू लगाये, फोटो खिंचवाया और जमकर वाहवाही लूटी, लेकिन उनका जोश एक माह भी कायम नहीं रह सका.अपना शहर बीमार होकर रह गया
एक कसक दिखा कि नवंबर से मार्च तक पहली बार चार माह तक जिले की आबोहवा खराब रही. एक्यूआइ 250 से 370 के बीच बना रहा. शहर की आबोहवा ऐसे ही खराब नहीं हुई. कचरों को जहां मन आया जला दिया गया. उससे निकलने वाला धुआं जानलेवा बना है. इस पर किसी की रोक नहीं है.आम लोगों से नहीं जुड़ पाया स्वच्छता अभियान
स्वच्छ भारत अभियान से आम लोग नहीं जुड़ पाये, जबकि अभियान का मूल उद्देश्य आम लोगों को साफ-सफाई के प्रति सजग करना था. सरकार द्वारा जिलाधिकारी, डीडीसी, पंचायती राज पदाधिकारियों समेत अन्य विभागों को पत्र लिखकर अभियान चलाने को कहा गया था. नगर निगम एवं पीएचइडी ने अभियान की शुरुआत जरूर की, लेकिन वह महज उद्घाटन समारोह तक सीमित रहा. किसी ने भी अभियान से आम जनता को जोड़ने का ईमानदारी से प्रयास नहीं किया. नतीजा है कि आज भी अपना शहर बजबजा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है