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फुलवरिया सीएचसी में लापरवाही से पूर्व मुखिया की मौत, प्रभारी समेत तीन डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई, सीएस ने रिपोर्ट भेज की कार्रवाई की मांग

फुलवरिया. जिले के फुलवरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकीय लापरवाही के कारण एक पूर्व मुखिया की मौत हो गयी.

फुलवरिया. जिले के फुलवरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकीय लापरवाही के कारण एक पूर्व मुखिया की मौत हो गयी. मामले की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन ने अस्पताल के प्रभारी डॉ. शाहिद नजमी, डॉ विधु शेखर और डॉ भूपेश कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए रिपोर्ट सरकार को भेज दी है. जानकारी के अनुसार श्रीपुर थाना क्षेत्र के सोनगढ़वा गांव निवासी व पूर्व मुखिया देवेंद्र सिंह को बुधवार सुबह एक विषैले सांप ने डस लिया था. घटना के तुरंत बाद परिजन उन्हें लेकर 10:55 बजे फुलवरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. परिजनों ने उपस्थित डॉक्टर को बताया कि उन्हें सांप ने डसा है. बावजूद इसके वहां मौजूद चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार न देकर केवल सामान्य दवा की सलाह दी और मरीज को एंबुलेंस से सदर अस्पताल गोपालगंज रेफर कर दिया. अचेत अवस्था में देवेंद्र सिंह को लेकर परिजन सदर अस्पताल गोपालगंज 11:55 बजे पहुंचे. वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि फुलवरिया अस्पताल में सर्पदंश के इलाज की एएसवी की सात शीशियां उपलब्ध थीं. बावजूद इसके इसका इस्तेमाल नहीं किया गया. इससे मरीज की जान चली गयी. घटना के समय फुलवरिया सीएचसी में डॉ भूपेश कुमार इमरजेंसी कक्ष में उपस्थित थे. वहीं रोस्टर के अनुसार प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शाहिद नजमी और डॉ विधु शेखर की ड्यूटी थी. लेकिन दोनों डॉक्टर ड्यूटी से नदारद थे. जब प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शाहिद नजमी से मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वे जिला पदाधिकारी की स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में शामिल होने गये हैं. हालांकि यह बैठक दोपहर 4 बजे निर्धारित थी, जबकि मरीज को सुबह 10:55 बजे लाया गया था. इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन ने पूरे मामले की जांच की और फुलवरिया सीएचसी के प्रभारी डॉ शाहिद नजमी, डॉ विधु शेखर और डॉ भूपेश कुमार के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए सरकार को रिपोर्ट भेज दी है. सीएस ने कहा है कि पूर्व में भी फुलवरिया सीएचसी में निरीक्षण के दौरान अनियमितताएं पायी गयी थीं, जिन पर चेतावनी दी गयी थी, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ. वहीं लोगों का कहना है कि अगर समय पर सर्पदंश का इंजेक्शन दे दिया गया होता, तो उनकी जान बचायी जा सकती थी.

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