गोपालगंज. सावन में गंडक नदी शांत पड़ी है. नदी का डिस्चार्ज घटकर 44200 क्यूसेक पर चला आया है जिससे नदी अपने पेट में चली गयी है. इससे दियारा के लाखों की आबादी को काफी राहत मिली है. पुरवा हवा के 16.7 किमी की रफ्तार से चलने से कटाव का खतरा बना हुआ है. कटाव को लेकर निगरानी में जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों के साथ एक्सपर्ट की टीम जुटी है. खतरे के निशान से नदी 1.06 मीटर नीचे बह रही है. कार्यपालक अभियंता शाजिद इकबाल ने बताया कि नेपाल के बारिश पर नदी का जल स्तर घटता- बढ़ता रहता है. अभी अगले पांच दिनों तक नेपाल में बारिश का अलर्ट नहीं है. ऐसे में नदी शांत है. तटबंधों का लगातार निरीक्षण निगरानी की जा रही. सभी तटबंध सुरक्षित हैं.
माड़ीपुर-झिरवां नहर में पानी के बहाव से राहत
उचकागांव . मौसम की मार झेल रहे किसानों को गंडक नहर के पानी से संजीवनी की उम्मीद जगी है. धान के बिचड़े को खेतों में बोआई करने के बाद मौसम के रूप में अचानक हुए बदलाव ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी थी. लेकिन इसी बीच माड़ीपुर से झीरवां तक जाने वाली गंडक नहर में पानी का बहाव शुरू होने के बाद किसने ने राहत की सांस ली है. उम्मीद जगी है कि यदि मौसम दगा भी देता है तो धान की फसल की सिंचाई समय समय पर होती रहेगी. बताया जाता है कि माड़ीपुर-झीरवां नहर में विगत 10-12 सालों से पानी नहीं आता था जिस कारण किसानों के लिए सिंचाई की समस्या गंभीर बनी हुई थी. इस वर्ष अप्रैल महीने से ही गंडक नहर की सफाई का काम शुरू किया गया था. जिसमें पानी का बहाव शुरू हो गया है. इस मामले को लेकर 20 सूत्री सदस्य व जमसड़ी गांव निवासी पिंकू श्रीवास्तव ने भी उचकागांव प्रखंड की 20 सूत्री की बैठक में माड़ीपुर–झिरवां गंडक नहर में 10 वर्षों से अधिक से पानी नहीं आने और किसानों की सिंचाई के मुद्दे को उठाया था जिसके बाद गंडक नहर में पानी को छोड़ा गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है