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Gopalganj News : दूरी से नहीं, मरीज की स्थिति देखकर वसूला जा रहा है एंबुलेंस का किराया

Gopalganj News : बीमार होने, सड़क हादसे में घायल हो जाना. अपने आप में एक गहरा आघात है. जब किसी परिवार पर यह दुख टूटता है, तो उनका मन, तन सब कुछ टूट जाता है. ऐसे वक्त में एंबुलेंस चालकों की मनमानी वसूली जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.

गोपालगंज. बीमार होने, सड़क हादसे में घायल हो जाना. अपने आप में एक गहरा आघात है. जब किसी परिवार पर यह दुख टूटता है, तो उनका मन, तन सब कुछ टूट जाता है. ऐसे वक्त में एंबुलेंस चालकों की मनमानी वसूली जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.

110 किमी के सफर के लिए पांच से छह हजार तक वसूले जा रहे

जिले के सदर अस्पताल से रेफर मरीजों को ले जाने के लिए परिजनों से मरीज की सीरियस स्थिति के हिसाब से निजी एंबुलेंस चालकों की मर्जी से किराया वसूला जाता है. गोपालगंज से 90 फीसदी मरीज गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर होते हैं. 110 किमी के सफर के लिए कोई पांच से छह हजार तक की राशि वसूल ली जाती है. आमतौर पर 18 सौ से 2500 में ही तैयार हो जाता है. यह खेल सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि संवेदनाओं की हत्या का है. एक ही दूरी पर अलग-अलग मांग यहां सदर अस्पताल परिसर में खड़ी एक दर्जन में से तीन-चार एंबुलेंस के चालकों से गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने गोरखपुर ले जाने के लिए बात की, तो विचित्र स्थिति सामने आयी. एक एंबुलेंस चालक ने तीन हजार रुपये, तो दूसरे ने 5700 रुपये भाड़ा बताया. एक अन्य दो हजार रुपये में ले जाने को सहमत हुआ.

परिवहन विभाग ने एंबुलेंस का नहीं तय किया कोई रेट

निजी एंबुलेंस की दरों को लेकर कोई गाइडलाइन जानकारी में नहीं है. परिवहन विभाग की ओर से एंबुलेंस के लिए कोई रेट तय नहीं होने के कारण मनमाना किराया वसूला जा रहा है. परिवहन विभाग की ओर से रेट तय नहीं होने के कारण मरीजों से लूट हो रही है. लाचारी व मजबूरी का फायदा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

रेफर होने वाले मरीजों की संख्या

सदर अस्पताल से -15

प्राइवेट अस्पतालों से -20जिले के अन्य अस्पतालों से – 40

केस एक

गर्भवती महिला बैकुंठपुर की रमावती देवी की स्थिति नाजुक होने पर सदर अस्पताल से मरीज को रेफर कर दिया गया. गोरखपुर जाने के लिए एंबुलेंस वाले ने पांच हजार रुपये मांगे. बहुत आग्रह करने पर 32 सौ रुपये में तय कर ले गया. उसे मेडिकल कॉलेज में ले जाने के बदले एक नर्सिंग होम में पहुंचाकर चला आया.

केस दो

राकेश कुमार बाइक से टकरा कर गंभीर रूप से घायल हो गये. सदर अस्पताल से उनको बुधवार की रात एंबुलेंस वाले ने छह हजार रुपया लेकर गोरखपुर में एक नामी प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर भर्ती करा दिया. जहां वे अभी जीवन-मौत से जूझ रहे. परिजनों ने जल्दी पहुंचने के चक्कर में किराये को नहीं देखा. जान बचाना जरूरी था.

सरकारी एंबुलेंस को यूपी में नहीं भेजता प्रबंधन

सदर अस्पताल के प्रबंधक जान मोहम्मद का कहना है कि सदर अस्पताल में सरकारी एंबुलेंस पर्याप्त है. रेफर होने वाले मरीजों को हम बिहार के किसी भी हाइयर सेंटर में भेज सकते हैं. यूपी में भेजने के लिए राज्य स्तर से परमिशन लेना पड़ता है. बगैर परमिशन हम यूपी में नहीं भेज सकते. यहां मरीज यूपी ही नजदीक होने के कारण जाते हैं.

प्रशासन को करनी चाहिए सरकारी एंबुलेंस की पहल

राजद के जिलाध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि मरीजों को गोरखपुर ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस को छूट देना चाहिए. इससे गरीब व लाचार मरीजों को काफी सुविधा होगी. एंबुलेंस रहने के बाद भी प्राइवेट एंबुलेंस के जाल में मरीजों को फंसा कर लूट का शिकार होना पड़ रहा है. इस पर रोक भी लगनी चाहिए.

एंबुलेंस का रेट तय करने के लिए होगी पहल

डीटीओ ने बताया कि एंबुलेंस के किराये को तय करने के लिए डीएम के स्तर पर कमेटी को तय किया जाना है. इसके लिए विभाग की ओर से पहल की जायेगी ताकि मरीजों को उसका लाभ मिल सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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