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Gopalganj News : तो अपने संयम को तोड़ो, बम एक कराची पर फोड़ो…

Gopalganj News : शहर के आंबेडकर भवन. भगवान परशुराम के जयंती समारोह की पूर्व संध्या पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया.

गोपालगंज. शहर के आंबेडकर भवन. भगवान परशुराम के जयंती समारोह की पूर्व संध्या पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें हास्य-व्यंग्य, शृंगार व वीर रस के कवियों ने दर्शकों को कभी गुदगुदाया, तो कभी प्रीत से ओतप्रोत किया. वहीं कभी खून भी खौला दिया.

सरस्वती वंदना के साथ हुआ आगाज

कवि सम्मेलन का आरंभ बस्ती से पधारीं कवयित्री शिवा त्रिपाठी सरस ने सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन प्रारंभ किया. पहले कवि के रूप में युवा कवि अवनीश त्रिपाठी ने प्रेम जगत में प्रेम भाव से आयेगा पढ़ कर तालियां बटोरीं. उसके बाद हास्य कवि रजनीश राय ने भोजपुरी हास्य कविता लइका बीटेक कइले बा पढ़ कर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया. उसके बाद लखीमपुर खीरी से पधारे देश के प्रसिद्ध गीतकार ज्ञान प्रकाश आकुल ने अपने मुक्तकों से पाठकों का मन मोह लिया. उन्होंने जब “किंतु यदि भाई दुश्मनों से मिल जाये तब, हिम्मत से भाई का विरोध भी करेंगे हम ” पढ़ा, तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा. शिवा त्रिपाठी सरस ने “न समझो कि है बेहुनर आईना, वो दिखाता है सच को डगर आईना ” पढ़ कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

कवियों की रचनाओं ने लोगों को झुमाया

गोपालगंज के प्रसिद्ध गीतकार संजय मिश्र संजय ने “गहरी नदियां लहरें ऊंची एक छोटी सी नाव, किनारा कैसे पाऊं ” पढ़ कर लोगों को झुमा दिया. इटावा से पधारे देश के शीर्ष कवियों में शुमार डॉ कमलेश शर्मा ने जब पढ़ा “वे खेल मौत का खेल गये, यदि इसे मौन हो झेल गये, तो घाव न कभी भर सकेगा, इतिहास न माफ कर सकेगा, चाहते कि भारत बचा रहे, तो अपने संयम को तोड़ो, बम एक कराची पर फोड़ो… ” तो पूरा हॉल भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा. डॉ शर्मा ने आधा घंटा तक काव्यपाठ कर श्रोताओं में उत्साह और देशभक्ति का संचार कर दिया. कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे प्रसिद्ध लेखक और कवि सर्वेश तिवारी श्रीमुख ने “जिन्होंने पत्थरों, पेड़ों के आगे हाथ जोड़ा है, उन्हीं ने प्रलय के अंधड़ को भी हर बार मोड़ा है. मेरा होना कोई सामान्य सी घटना नहीं है दोस्त, मेरी छाती ने दुनिया भर की तलवारों को तोड़ा है. ” पढ़ कर श्रोताओं में जोश भर दिया. मंच की अध्यक्षता कर रहे जिले के प्रसिद्ध कवि संगीत सुभाष ने “जप यज्ञ हूं, मैं विज्ञ हूं, सब तीर्थ सारे धाम हूं. मैं परशुधारी राम हूं, संग्राम ही संग्राम हूं… ” पढ़ कर परशुराम जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को पूर्णता दी.

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