गोपालगंज. राजेंद्र नगर बस स्टैंड की जमीन की फर्जी जमाबंदी करा लेने में प्रशासन की ओर से एक्शन होने के बाद प्रभात खबर के एक और खुलासे को प्रशासन की जांच में मुहर लगी है. गंडक नहर की जमीन की खरीदने व बेचने के मामले में डीएम प्रशांत कुमार सीएच के आदेश पर गठित एडीएम आशीष कुमार सिन्हा की जांच टीम ने महीनों कागजात को खंगालने के बाद प्रभात खबर के समाचार पर मुहर लगा दी है.
डीएम को सौंपी गयी रिपोर्ट
जांच टीम ने कुचायकोट के सीओ मणि भूषण, सीआइ व राजस्व कर्मचारी तक की संलिप्तता पाते हुए अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है. जांच टीम ने माना है कि दावा करने के 10 वर्षों के बाद कुचायकोट के सीओ को मैनेज कर 17 फरवरी 2025 को तिवारी मटिहनिया गंडक नहर की जमीन की जमाबंदी कायम करा ली गयी. जमाबंदी राजस्व कर्मचारी व सीआइ की रिपोर्ट के आधार पर सीओ ने की है. जांच के दौरान राजस्व कर्मचारी, सीआइ व सीओ से जवाब तलब किया गया था, जिसमें तीनों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार बताया था.रजिस्ट्री को रद्द कराने का हो चुका था आदेश
गंडक नहर की जमीन की रजिस्ट्री की बात जब सामने आयी, तो तिवारी मटिहनियां के अमित कुमार उर्फ विजय ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कोर्ट में परिवाद दायर किया था. 20 फरवरी 2023 से लेकर 21 अप्रैल 2023 तक अलग-अलग तिथियों में इसकी सुनवाई हुई. इसमें कुचायकोट के सीओ व गंडक नहर विभाग के अभियंताओं की मौजूदगी में जमीन को गंडक नहर का माना गया और उस पर अवैध कब्जे को हटाने का आदेश दिया. साथ ही रजिस्ट्री के निबंधन को रद्द कराने का आदेश दिया गया था. उस आदेश की प्रति सीओ कुचायकोट को भी भेजी गयी थी. इसके बाद इस जमीन की जमाबंदी किये जाने की पुष्टि हुई है.प्रभात खबर ने किया था मामले को उजागर
गंडक नहर की जमीन का जमाबंदी कायम होने के बाद अब उस पर कब्जा किया जा रहा था. प्रभात खबर ने छह मार्च को इस फ्रॉड को उजागर किया था. उसके बाद डीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीएम के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया था.
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