गोपालगंज. कागज में स्कूल भवन के निर्माण व उसकी मरम्मत का कार्य पूर्ण बता कर विभाग में बिल भुगतान के लिए जमा कराने का खुलासा प्रभात खबर में होते ही अब शिक्षा विभाग एक्शन मोड में है. डीइओ योगेश कुमार ने अपने पत्रांक 1011 / दिनांक 28 मई से बिहार स्टेट एजुकेशनल डेवलपमेंट कारपोरेशन के कार्यपालक अभियंता से जवाब तलब किया है.
डीइओ ने मांगा पक्ष
डीइओ ने पूछा है कि उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बिना कार्य पूर्णता के ही मरम्मत से संबंधित राशि के भुगतान के लिए बिल कैसे जमा करा दिया गया. डीइओ ने कहा है कि हथुआ प्रखंड के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय कबिलसवां व उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय, लाइन बाजार पकड़ियार तथा 16 विद्यालयों में मरम्मत कराये जाने का खुलासा अखबार में किया गया है. इस संबंध में अपना पक्ष दें. यहां जानकार सूत्रों ने बताया कि कबिलसवा व लाइन बाजार पकडियार मिडिल स्कूल में प्लस टू स्कूल का भवन है ही नहीं, तो उसके मॉडल एस्टिमेट पर मिडिल स्कूल में रिपेयर का कार्य शुरू हो गया है. सूत्रों का दावा है कि अगर इसकी हाइलेबल जांच हो, तो जिले में कई स्कूल हैं, जहां इस तरह के फ्रॉड हुआ है. बगैर कार्य कराये ही राशि की निकासी तक कर ली गयी है.
बगैर मरम्मत कराये राशि निकालने की थी तैयारी
स्कूलों में बगैर काम कराये ही राशि को निकाल लेने की प्लानिंग कुछ इंजीनियरों व अधिकारियों ने कर ली थी. प्रभात खबर के पास मिले साक्ष्यों में साफ है कि हथुआ के 12 उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय, प्लस टू के भवन की रिपेरिंग का वर्क ऑर्डर हेडमास्टर के साइन से जारी किया जाता है. हेडमास्टर से ही कार्यादेश प्राप्त कर 4.97 लाख रुपये का इंजीनियर स्टीमेट बनाकर कागज में ही कार्य पूर्ण दिखा कर विभाग को भुगतान के लिए रिपोर्ट सौंप दिया गया. यह दावा किया गया है कि यह कार्य जेइ कटेया, भोरे और कटेया के एइ निर्भय कुमार के पर्यवेक्षण में कार्य को पूरा कराया गया है.
हेडमास्टर ने फर्जीवाड़े का किया खुलासा
हथुआ प्रखंड के कबिलसवां के हेडमास्टर राम जन्म राम को स्कूल का भवन बनाये जाने व उसका मरम्मत करने का वाउचर जमा करने की जानकारी मिली. उनके द्वारा अपने पत्रांक-02 दिनांक 07 मई को डीइओ को एक आवेदन देकर खुलासा किया कि उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय में वर्ग एक से आठ तक के लिए भवन बना हुआ है. उसी में वर्ग 12वीं तक का क्लास चल रहा है. उसमें कभी प्लस टू स्कूल बना ही नहीं है. कार्य एजेंसी के द्वारा फर्जी हस्ताक्षर करके कार्यादेश बना लिया गया और पेमेंट का दावा किया है.
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