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Gopalganj News : जीवनरक्षक दवाओं पर 15 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी से मरीज हो रहे बेहाल

Gopalganj News : जनता सिनेमा रोड के होटल दुकानदार रंजीत कुमार अपनी मां रूबी देवी के लिए शुगर की दवा खरीदते है. संडे को जब दवा की दुकान पर शुगर की दवा ग्लाइकोमेट जीपी का रेट 110 रुपये था, तो पांच सौ का नोट दुकानदार को दिया. उसने 172 रुपये काट लिये. रंजीत भौचक रह गये. अचानक 62 रुपये बढ़ा हुआ था.

गोपालगंज. जनता सिनेमा रोड के होटल दुकानदार रंजीत कुमार अपनी मां रूबी देवी के लिए शुगर की दवा खरीदते है. संडे को जब दवा की दुकान पर शुगर की दवा ग्लाइकोमेट जीपी का रेट 110 रुपये था, तो पांच सौ का नोट दुकानदार को दिया. उसने 172 रुपये काट लिये. रंजीत भौचक रह गये. अचानक 62 रुपये बढ़ा हुआ था.

एक अप्रैल से दवाओं की कीमत में हुई वृद्धि

यह तो बस नमूना मात्र है. हजारों की संख्या में लोगों को दवा के लिए दुकानदारों से बहस भी हो रही. महंगाई की मार जीवन रक्षक दवाओं के दामों पर भी पड़ी है. एक अप्रैल से दवाओं पर 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर दी गयी है. हृदय रोग संबंधी दवाओं पर सबसे अधिक महंगाई हैं, इसके साथ ही मधुमेह, ब्लड प्रेशर, जुकाम- बुखार की दवाओं के दामों में भी उछाल आया है. मरीजों के जीवन में शामिल हो चुकी इन दवाओं को खरीदने में अब लोगों को अधिक जेबें ढीली करनी पड़ रही हैं.

बढ़ी हुईं कीमतें तत्काल प्रभाव से लागू

दवा कारोबारियों का कहना है कि कच्चे माल में इजाफा और कंपनियों द्वारा दाम बढ़ाये जाने से ही दवाएं महंगी हुई हैं. इस समय मधुमेह, रक्तचाप जैसी समस्याओं से बड़ी आबादी जूझ रही है. बिना दवा सेवन के इन मरीजों के लिए स्वस्थ रह पाना मुश्किल है. दवा विक्रेता मुन्ना गुप्ता ने बताया कि 36 श्रेणियों में 376 दवाएं रखी गयी हैं. इसमें बुखार, त्वचा, संक्रमण, एनिमिया, किडनी, विषरोधी, खून पतला करने, कुष्ठ रोग, टीबी, माइग्रेन, पार्किसन, डिमोशिया, साइकोथेरैपी, हार्मोन, उदर रोग की दवाओं की कीमतें भी बढ़ी हैं. बढ़ी हुईं कीमतें तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गयी हैं. निश्चित रूप से मरीजों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है पर दवा विक्रेता भी बढ़े हुए निर्धारित रेटों पर ही दवाएं उपलब्ध कराने को विवश हैं.

डॉक्टर अक्सर लिखते हैं महंगी ब्रांडेड दवाएं

डॉक्टर अभी भी अक्सर अधिक महंगी, ब्रांडेड दवाई लिखते हैं. जेनरिक समान रूप से प्रभावी, अच्छी तरह से रिसर्च्ड और कम खर्चीले हैं. रोगी को कम खर्चीली जेनरिक दवाओं को घटिया बता दिया जाता हैं और उन्हें कम प्रभाव से जोड़ते हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट तक ने जेनरिक दवा लिखने का आदेश डॉक्टरों को दिया है, जिससे मरीजों पर महंगाई की मार नहीं पडे़.

कमीशन के लोभ में लिखी जा रहीं ब्रांडेड दवाएं

डॉक्टर जेनेरिक दवाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते हैं. उन्हें यह भी नहीं पता हो सकता है कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के समान ही होती हैं. डॉक्टर ब्रांडेड दवाओं को लिखने से कमीशन या लाभ कमाते हैं, जिससे वे जेनेरिक दवाएं लिखने से बचते हैं. डॉक्टर दवा कंपनियों के साथ मजबूत व्यावसायिक संबंध रखते हैं, जो उन्हें ब्रांडेड दवाओं को लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

ड्रग इंस्पेक्टर अभय शंकर ने बताया कि दवाओं के रेट क्यों बढ़ा हे. इसका अध्ययन विभाग के स्तर पर नहीं हो सका है. दो- चार दिनों में स्पष्ट हो जायेगा कि दवाओं के दाम आखिर क्यों बढ़े हैं. अगर स्थानीय स्तर पर गड़बड़ी होगी, तो एक्शन लिया जायेगा.

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