गोपालगंज. लोक आस्था के महापर्व चैती छठ के चौथे और अंतिम दिन शुक्रवार को व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ दिया. इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास संपन्न हुआ. अहले सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. जिले भर में चैती छठव्रत धूमधाम से मना.
रात तीन बजे से ही घाटों पर पहुंचने लगे थे व्रती
महिलाओं ने संतान के अच्छे स्वास्थ्य और उन्नति के लिए व्रत रखा. छठव्रती पूरे परिवार के साथ रात के तीन बजे से ही छठ घाट पर पहुंच गये. छठी मइया की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सूर्यदेव के दर्शन होने के साथ ही अर्घ अर्पित किया. हजियापुर, ब्लॉक के सामने, पुरानी चौक, नोनियाटोली, थावे रोड में हलखोरी साह के पोखरा पर, जादोपुर राेड के दुर्गा मंदिर परिसर, भितभेरवां, मानिकपुर, बंजारी के छठ घाटों पर आस्था, साधना, तपस्या का संगम दिखा.
36 घंटे के निर्जला व्रत का हुआ समापन
इस चार दिवसीय चैती छठ पूजा में व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा, भगवान भास्कर का अनुष्ठान किया गया. रात में कोसी पूजन के बाद छठ व्रती गन्ना, पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद, ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाकर पूजा की. छठ पूजा के लिए एक बांस के बने दउरा में पूजा प्रसाद, फल डालकर देवकारी में रख कर पूरी रात जाग कर बिताया. सुबह कोसी व एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल और पूजा का अन्य सामान लेकर दउरा में रख कर घर के पुरुष अपने हाथों से उठाकर छठ घाट पर लेकर पहुंचे. रास्ते में परंपरागत छठ का गीत गाती हुई भगवान भास्कर की आराधना करती रही.
छतों पर व कृत्रिम तालाब में भी दिया अर्घ
छठव्रतियों ने नारायणी नदी या तालाब के किनारे जाकर अनुष्ठान को पूरा किया, तो कई जगह तो घरों की छत पर कृत्रिम तालाब का निर्माण कर पानी डाला गया और वहीं गंगा की अराधना कर अर्घ दिया गया. गर्मी के कारण कई छोटे- छोटे तालाबों के पानी सूख् गये थे. ऐसे में व्रतियों ने घर की छत पर छठ पूजा का इंतजाम अपने लिए किया. पूजा के दौरान छठ महापर्व के पारंपरिक गीत गूंजते रहे.छठ घाटों पर प्रसाद मांगने वालों की रही भीड़
छठ घाटों पर अर्घ देकर निकली व्रतियों से प्रसाद मांगने वालों की काफी भीड़ रही. मान्यता है कि छठ प्रसाद पाने से भी पुण्य के भागीदार हो जाते हैं. व्रतियों के हाथ से प्रसाद लेने का अपना महत्व था. वहीं घाट पर मेला जैसा नजारा था. जलेबी, चाय की सर्वाधिक बिक्री रही. वहीं बच्चों ने गुब्बारे तथा खिलौनों की खरीदारी भी की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है