सासामुसा. नेपाल में रुक-रुक कर हो रही बारिश से गंडक नदी का जल स्तर भी घट-बढ़ रहा है. इसको लेकर दियारा इलाके के लोगों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. दियारे के लोग एक बार फिर से अपने घरों को छोड़कर शहर व बाजारों में अपना ठौर तलाश रहे हैं.
अभियंताओं को अलर्ट रहने का निर्देश
वहीं गुरुवार को बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह, अधीक्षण अभियंता दिनेश कुमार ने विशंभरपुर पहुंचकर बाढ़ से बचाव की तैयारी का निरीक्षण किया और अभियंताओं को हाइ अलर्ट मोड़ में रहने का आदेश दिया. इंजीनियरों को कई दिशा-निर्देश भी दिये. डेंजर प्वाइंटों का भी मुआयना किया. वहीं अधिक से अधिक जीओ बैग, पार्कोपाइन के साथ बड़े पैमाने पर इंतजाम करने का निर्देश दिया गया. बालू भर कर बोरा को स्टाॅक करने का आदेश दिया, जिससे आपात स्थिति से निबटा जा सके.
बांध की हो रही निगरानी
अहिरौली दान से लेकर बिशुनपुर बांध तक निगरानी की जा रही है. दियारा के लोगों का मानना है कि नदी का रुख पल-पल बदलता रहता है. मौके पर कार्यपालक अभियंता पवन कुमार, सहायक अभियंता एकता कुमारी, कनीय अभियंता राकेश कुमार झा, शिव कुमार, रवि तिवारी के अलावा दियारा के लोग मौजूद थे.
नदी की मुख्यधारा का स्वरूप बदला
कार्यपालक अभियंता पवन कुमार की मानें, तो गंडक नदी इस बार बांध से दूर बह रही है. नदी का स्वरूप बदला हुआ है. मुख्यधारा एक किमी से चौड़ी हो गयी है, जिससे बांध को काफी राहत मिलने की संभावना है. फिर भी तैयारियों को बेहतर किया जा रहा है. नेपाल में होने वाली बारिश पर विशेष फोकस है.
जिले के 43 गांवों में नदी की मचती है तबाही
अब चार माह तक नदी के कोप को झेलना होगा. खासकर जिले के पांच प्रखंडों के 43 गांवों में नदी का जल स्तर डेढ़ लाख क्यूसेक पर पहुंचते ही पानी फैल जाता है. यह वह इलाका है, जो बांध व नदी के बीच का हिस्सा है. लोगों की खेती- बारी, घर वार होने के कारण लोग यहां रहने को मजबूर होते हैं. चार माह तक नाव ही एक मात्र आवागमन का सहारा होता है. जिससे उनके घर का काम चल जाता है. जिले के कुचायकोट, सदर, मांझा, बरौली, सिधवलिया व बैकुंठपुर प्रखंड के गांवों को गंडक नदी तबाह करती रही है. नदी का जल स्तर बढ़ रहा है, वैसे ही दियारा के लोगों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है.
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