गोपालगंज. यह तस्वीरें चौंकाने वाली है. करोड़ों की खर्च कर सरकार ने मिट्टी की हेल्थ जांच के लिए अत्याधुनिक मशीन लगा दी है. मिट्टी जांच के लिए इन मशीनों को किसानों का इंतजार है.
विभाग किसानों को इसके प्रति जागरूक नहीं कर पा रहा, जिसके कारण किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच नहीं करा पा रहे. एक वर्ष में लक्ष्य 7865 के बदले महज 4344 किसान ही अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा पाये हैं. महज 230 किसान खुद से मिट्टी को लाकर जांच कराये हैं, जिसमें महज 130 किसानों का मृदा स्वास्थ्य कार्ड बन सका है. मिट्टी की जांच में नाइट्रोजन व ऑर्गेनिक कार्बन की कमी आ रही है. ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा 7.5 के बदले 4-5 के बीच मिल रही, जो चिंता का विषय है. उधर, किसानों के बीच जागरूकता की भारी कमी के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन से किसान दूर हो गये हैं. मिट्टी जांच के सरकारी लक्ष्य को ही पूरा करने में कृषि विभाग अपना ताकत लगाये हुए हैं. मृदा हेल्थ कार्ड में किसानों के खेत में किस तत्व की कमी है. उसे कैसे पूरा किया जा सकता है. इसकी कार्ड में जानकारी उपलब्ध करायी जाती है. अब तक की जांच पर नजर डालें, तो गोपालगंज जिले में सर्वाधिक खेतों में नाइट्रोजन की कमी पायी गयी है. नाइट्रोजन के साथ ही ऑर्गेनिक कार्बन, फास्फोरस, जिंक व बोरान की कमी है. इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो खेत के बंजर होने का खतरा है.मिट्टी जांच के बाद भी किसान नहीं ले रहे सलाह
मिट्टी जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जरूर जा रहा, लेकिन किसान जानकारी का अभाव कहें या नासमझी उसमें दर्ज तत्वों को पूरा करने के प्रति गंभीर नहीं हो पा रहे, जिसके कारण जांच भी बेकार साबित हो रहा है. इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों का प्रयास भी किसान नहीं मान रहे. किसान अपने खेतों में अपने हिसाब से खेत में पोटाश, यूरिया, डीएपी, बोरान आदि डाल रहे, जिसके कारण खेतों के बंजर होने का खतरा बना हुआ है.विभाग के पास मौजूद अत्याधुनिक मशीनें :
एएएस मशीन, फ्लेम फोटोमीटर, पीएच मीटर मशीन व एससी मशीन.किसान ऐसे कराएं मिट्टी की जांच
कृषि विभाग के अधिकारियों की माने, तो खरीफ की खेती से पहले किसान अपने खेतों से मिट्टी का नमूना लेकर स्वयं विभाग में लाकर जांच करा सकते हैं. खेतों के चारों कोने से चार फुट किनारा को छोड़कर 15 सेमी गहरा कर मिट्टी को हटाएं. उसी प्रकार खेत के बीच से भी 15 सेमी गहरा मिट्टी निकालकर हटा दें. उसके बाद उसकी परत को निकालकर एक पॉलीथिन में इकट्ठा करने के पश्चात उसमें का खर-पतवार निकाल लें. उसे बारिक बनाएं. इसके बाद मिट्टी को एक में मिलाकर जांच के लिए नमूना भेजें. विभाग जांच कर बतायेगा कि जमीन में किन तत्वों की कमी है. उस तत्व को डालकर किसान अपने खेत को बंजर होने से रोक सकते हैं. साथ ही अपनी उपज भी दोगुना कर सकते हैं.
ढैंचा व वर्मी खाद से होगी मिट्टी की सेहत ठीक : विशेषज्ञ
सहायक निदेशक रासायन, बाबूचंद सिंह ने बताया कि किसानों को जागरूक करने के लिए हर स्तर पर प्रयासरत हैं. कृषि मेला, चौपाल में भी किसानों को मिट्टी की जांच कराने की सलाह व उसके फायदे बताये जा रहे. हरी खाद पर जोर दिया जा रहा. खेतों में ढैंचा व वर्मी खाद से मिट्टी की सेहत को दुरुस्त किया जा सकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है