भोरे. भोरे के दुबे जिगना में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ से पूरा इलाका भक्ति की सागर में गोता लगा रहा है. तीसरे दिन ज्ञान पीठ से कथा सुनाते हुए काशी से आये अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक डॉ पुण्डरीक जी महाराज ने कहा कि संपूर्ण विश्व ब्रह्मांड परमात्मा की ही कृति है. संपूर्ण संसार का कर्ता परमात्मा ही है. संसार में परमात्मा से अलग और कुछ हो ही नहीं सकता. संसार में दृश्य और अदृश्य जो भी है वह परमात्मा का ही स्वरूप है. परमात्मा ही संसार का स्वामी हैं. महाराज परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा कि हे भगवन, इस संसार को किसने बनाया? तब भगवान शुकदेव ने कहा कि हे राजा, ऐसा ही प्रश्न ब्रह्मा जी से देव ऋषि नारद ने किया था कि इस संसार को बनाने वाला परमपिता कौन है. तब ब्रह्मा जी ने कहा, इस संसार का सृजनकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता भगवान श्रीमन नारायण हैं. भगवान नारायण की नाभि से कमल और कमल से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई. ब्रह्मा जी ने कहा कि जब मेरा जन्म हुआ, तो मैंने भगवान को कहीं नहीं देखा, चारों ओर केवल जल ही जल दिखाई पड़ रहा था. तब मैंने भगवान का हजारों वर्षों तक ध्यान और वंदन किया. तब प्रभु ने प्रसन्न होकर मुझे श्रीमद्भागवत का उपदेश दिया. डॉ पुण्डरीक जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा भगवान की प्रसन्नता का परिचायक है. भगवान जिस पर प्रसन्न होते हैं, वही भागवत का श्रवण लाभ प्राप्त करता है.
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