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तीन दिव्यांगों वाला सात सदस्यीय परिवार का अखबार बेचकर भरण पोषण कर रहा एक दिव्यांग

गोरौल नगर पंचायत के मखदुमपुर गांव का एक दिव्यांग अकेला अपनी मेहनत के बल पर तीन दिव्यांग सहित सात सदस्यीय परिवार का भरण पोषण की जिम्मेदारी निभा रहा है.

विनय कुमार, पटेढ़ी बेलसर. गोरौल नगर पंचायत के मखदुमपुर गांव का एक दिव्यांग अकेला अपनी मेहनत के बल पर तीन दिव्यांग सहित सात सदस्यीय परिवार का भरण पोषण की जिम्मेदारी निभा रहा है. दिव्यांग राकेश कुमार एक ऐसा नाम हैं, जो अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि संघर्ष की ताकत बना चुका हैं. दोनों पैरों से दिव्यांग राकेश पिछले चार वर्षों से प्रतिदिन गोरौल चौक से अखबार लेकर आसपास के गांवों में घर-घर पहुंचाकर अपने परिवार का पेट पाल रहा हैं. वर्ष 2021 से शुरू हुआ यह सफर सिर्फ एक छोटे व्यवसाय का नहीं, बल्कि संघर्ष का परिचायक है. सरकारी योजना के नाम पर एक ट्राई साइकिल और अंत्योदय योजना के तहत प्रत्येक माह 35 किलो खाद्यान्न मिलता है. जो परिवार के लिए यह पर्याप्त नहीं है. परिवार में माता-पिता, दिव्यांग भाई-बहन और पत्नी सहित सात सदस्य हैं.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में जंदाहा थाना क्षेत्र के भथाही गांव निवासी जगदीश पासवान की पुत्री कुंती कुमारी से शादी हुई. शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारी अधिक बढ़ गयी है. बैंक से लोन नहीं मिलने के कारण व्यवसाय को नहीं बढ़ा पा रहे है. महाजन से कर्ज लेकर छोटी व्यवसाय से मुनाफा नहीं होता है. कमाई का सारा पैसा ब्याज में चला जाता है.

ट्राइ साइकिल बनी सहारा, मां कर रहीं सहयोग : राकेश का एकमात्र चलने-फिरने का साधन उनकी ट्राई साइकिल है, और यही उनकी रोजी-रोटी का जरिया भी है. वृद्ध मां घर की सारी जिम्मेदारी एक दिव्यांग पुत्र के कंधों पर देख दूसरों के खेतों में मजदूरी कर घर खर्च में सहयोग कर रही हैं. ताकि घर का चूल्हा जलता रहे. बताया कि एक भाई मानसिक रूप से विक्षिप्त है तथा बड़ी बहन दोनों पैर से दिव्यांग है, जो चल फिर नहीं सकती है.

कर्ज लेकर शुरू की किराना की दुकान, ब्याज के कारण करना पड़ा बंद : दिव्यांगों और निर्धनों के लिए केंद्र व राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं. जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, दिव्यांगजन सशक्तिकरण योजना आदि. लेकिन बैंक की जटिल प्रक्रियाओं और जमीन संबंधी दस्तावेजों की अनिवार्यता के चलते दिव्यांग राकेश को इन योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा हैं. इन्होंने लोन के लिए कई बार बैंक में आवेदन किया, लेकिन स्वयं की जमीन नहीं हाने के कारण बैंक की ओर से आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया. बताया कि उसके पास गोरौल नगर पंचायत की वर्तमान उपाध्यक्ष धनवंती देवी के ससुर स्व सरयुग साह की ओर से दान दी गयी जमीन है, लेकिन बैंक उसे वैध नहीं मान रहा है. जिसके कारण लोन मिलने में परेशानी हो रही है. जबकि सरकार बिना किसी सिक्योरिटी के लोन देने का दावा करती है. उन्होंने बताया कि घर की माली हालात ठीक नहीं देखकर साहूकार से कर्ज लेकर छोटी सी किराना दुकान खोली थी. लेकिन उस दुकान की कमाई ब्याज में चली जाती थी. जिसके कारण दुकान बंद करनी पड़ी.

पेंशन में बढ़ोतरी से जगी उम्मीद

राकेश और उनकी बहन को दिव्यांग पेंशन तथा उनके माता-पिता को वृद्धजन पेंशन मिलती है. बीते शनिवार को ही में राज्य सरकार द्वारा जुलाई माह से पेंशन राशि 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपए प्रति माह किए जाने की घोषणा से राहत की उम्मीद जगी है. बताया कि अखबार बेचकर उन्हें प्रतिदिन लगभग 200–250 रुपये की आमदनी होती है. उसी से पूरे परिवार का गुजारा चलता है. अब उनके कंधों पर एक बहन की शादी की जिम्मेदारी भी है. जिसकी चिंता उन्हें रात में सोने नहीं देती और दिन में चैन से रहने नहीं देती.

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