हाजीपुर. ईद-उल-अजहा इस्लामिक कैलेंडर के 12 वें महीने जिलहिज्जह की दसवीं तारीख से तीन दिनों तक ईद-उल-अजहा मनाई जाती है जिसे हम बकरीद भी कहते है. ईद-उल-अजहा के दिन जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. जिसमे कुर्बानी के जानवर के लिए इस्लाम धर्म ने कई शर्तें रखी हैं. जानवर हलाल हो, स्वस्थ हो. कुर्बानी उन सभी मुसलमानों पर फर्ज (अनिवार्य) है. जो आर्थिक रूप से मजबूत है उन्हें ही कुर्बानी देने का हुक्म है. कुर्बानी के जानवर को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक हिस्सा अपने परिवार के लिए, दूसरा अपने रिश्तेदार, पड़ोसी के बीच बांटना है और तीसरा हिस्सा जरूरतमंद व गरीब को दे देना है. इमाम ने बताया की हजरत इब्राहिम अलैहिस्लाम ने ख्वाब में देखा की अल्लाह उनसे सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांग रहे है. सुबह उठकर उन्होंने सौ ऊंट कुर्बानी दे दी. रात को फिर ख्वाब देखा की अल्लाह प्यारी चीज की कुर्बानी मांग रहे है. तब जाकर उन्होंने अपने इकलौते बेटा हजरत इस्माईल अलैहिस्लाम की कुर्बानी दी. हालांकि कुर्बानी देते वक्त अल्लाह के हुक्म से हजरत इस्माईल अलैहिस्लाम की जगह एक दुम्बा (भेड़) में बदल गया. अल्लाह अपने बंदों से इम्तिहान ले रहे थे. उसी वक्त से कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई.
शहर में कब, कहां व कितने बजे होगी बकरीद की नमाज
अक्षयवट राय स्टेडियम 07:00पुरानी ईदगाह जाढूआ 07:00
नयी ईदगाह कर्णपुरा 06:30शाह ईदगाह मीनापुर 07:00संगी मस्जिद (पत्थर मस्जिद ) पहली जमात 06:45, दूसरी जमात 07:30जामा मस्जिद चौक 07:15मरकज जमा मस्जिद थाना चौक 07:00पोखरा जामा मस्जिद 07:15मड़ई चौक जामा मस्जिद 07:30जामा मस्जिद पठानटोली 07:00मदीना जामा मस्जिद बागमली 07:00आशियाना मस्जिद बागमली 07:15
नोट :
अगर बारिश होती है तो सभी मुहल्लों की जमा मस्जिद में बकरीद की नमाज अदा की जायेगीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है