देसरी. देसरी प्रखंड कार्यालय को 25 वर्षों बाद भी अपना कार्यालय नसीब नहीं हो सका है. आज भी कार्यालय जफराबाद स्थित व्यापार मंडल के उत्पादन सह भंडारण केंद्र में संचालित हो रहा है. वहीं, कई विभागों के कार्यालय दूसरे भवनों से संचालित होने के कारण लोगों को इधर-उधर चक्कर लगाना पड़ता है. अन्य प्रखंड कार्यालयों की तरह एक हीं स्थान पर सभी तरह के कार्यों का निपटारा नहीं हो पाता है. अपना भवन नहीं होने और जगह की कमी के कारण कार्य भी प्रभावित होता है.
प्रखंड की स्थापना दिसंबर, 1999 में हुई थी
मालूम हो कि देसरी प्रखंड की स्थापना 3 दिसंबर 1999 को हुई तथा पुराने थाना के पास एक भाड़े के मकान से संचालित होना प्रारंभ हुआ था. जो आज 25 वर्ष बीतने के बाद भी दूसरे विभाग के भवन में संचालित हो रहा है. हाल ही में वैशाली जिले के सहदेई बुजुर्ग, महुआ, लालगंज, बिदुपुर, पातेपुर एवं जंदाहा प्रखंड सह अंचल कार्यालय के निर्माण कराने के लिए निविदा निकली गयी है. लेकिन, देसरी प्रखंड के भवन निर्माण के लिए कोई प्रयास नहीं दिख रही है. तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री अवध बिहारी चौधरी एवं पीएचइडी मंत्री दिवंगत मुंशीलाल राय की अध्यक्षता में 3 दिसंबर 1999 को प्रखंड कार्यालय का उद्घाटन हुआ था. उद्घाटन के कुछ वर्षों के बाद उसे देसरी रेलवे स्टेशन के समीप एक सामुदायिक भवन में स्थानांतरित कर संचालित किया जाने लगा. जहां से उसे जफराबाद स्थित व्यापार मंडल के उत्पादन सह भंडारण केंद्र में कई वर्षो से संचालित किया जा रहा हैं.अलग-अलग भवनों में संचालित हो रहा कार्यालय
सहकारिता विभाग के भवन में प्रखंड कार्यालय देसरी संचालित हो रहा है, जिसमें एक कमरे में प्रखंड विकास पदाधिकारी बैठते हैं. वहीं, दूसरे कमरे में अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी किसी तरह से बैठ कर कार्य करते हैं. वहीं, किसानों एवं कृषि विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए बनाये गये किसान भवन में कई विभागों के कार्यालय संचालित हो रहे हैं, जिसमें प्रखंड प्रमुख, अंचल कार्यालय, प्रखंड प्रोग्राम पदाधिकारी, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के कार्यालय शामिल हैं.बताया गया कि भवन निर्माण के लिए तीन एकड़ 23 डिसमिल जमीन के अधिग्रहण के लिए चिन्हित कर भूमि सुधार उपसमाहर्ता महनार को सात वर्ष पहले प्रस्ताव भेजा गया था. जहां से भू-अर्जन विभाग को भेजा गया. सभी रैयतों को नोटिस दिया गया था. नोटिस दिए हुए भी कई वर्ष बीत गये लेकिन रैयतों को अब तक किसी प्रकार का कोई मुआवजा राशि का भुगतान नहीं हुआ. कई वर्षों से प्रखंड सह अंचल कार्यालय की जमीन उपलब्ध कराने को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अटकी हुई है, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश का माहौल है.
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