गोरौल. गोरौल थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष रौशन कुमार गोरौल थाना में ही प्राथमिकी की गई है. एसपी ललित मोहन शर्मा के आधार पर यह प्राथमिकी की गई है. गोरौल थाना के प्रभारी थानाध्यक्ष के बयान पर यह प्राथमिकी हुई है. कांड दर्ज होने के बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष भूमिगत हो गए हैं. इस संबंध में एसपी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि गोरौल के पीरापुर में 10 जुलाई को एक युवती का खेत में शव बरामद हुआ था. युवती का शव बरामद होने के दिन ही शाम में युवती के अपहरण और हत्या के आरोपित को थाना पर तत्कालीन थानाध्यक्ष रौशन कुमार द्वारा बुलाया गया. थानाध्यक्ष द्वारा आरोपित के साथ मिलकर पीड़िता के परिजनों पर ही प्राथमिकी कर दी गई. इसकी जानकारी भी वरीय अधिकारियों को नहीं दी गई. इस मामले की जानकारी मिलते ही सबसे पहले महुआ एसडीपीओ द्वारा मृतका के परिजनों पर किए गए प्राथमिकी को फाल्स किया गया. वहीं एक पुलिस पदाधिकारी द्वारा किया गया यह आपराधिक कृत्य है. इसके बाद एसपी के निर्देश पर गोरौल के प्रभारी थानाध्यक्ष सुनील कुमार के बयान पर तत्कालीन थानाध्यक्ष रौशन कुमार पर प्राथमिकी की गई है. मालूम हो कि 10 जुलाई को पीरापुर गांव के ही धर्मेंद्र कुमार अपने खेत की जुताई एक गड्ढे में ट्रैक्टर फंस गया था, गढ्ढे से बदबू निकलने लगा था. सूचना पर पहुंची पुलिस ने गड्ढे में से शव को बरामद किया और उसे पोस्टमार्टम के लिये सदर अस्पताल भेज दिया. मृतका के साथ गढ्ढे से उसका बैग भी मिला है, जिसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक अकाउंट, एडमिट कार्ड सहित अन्य कागजात बरामद किया गया. इसी कारण शव की पहचान भी हो सकी. घटना के संबंध में मृतक के पिता वीरचंद्र सिंह एवं मां गीता देवी ने बताया था कि उनकी पुत्री 27 मई को कालेज गयी थी, जो वापस नहीं लौटी. इसकी शिकायत भगवानपुर पुलिस से की गई थी , लेकिन कोई करवाई नहीं हुई. परिजनों ने गांव के ही रूपेश कुमार पर अपने साथियों के साथ मिलकर पहले उसकी पुत्री का अपहरण किया और दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया था. इस मामले में कार्रवाई नहीं करने पर एसपी ने गोरौल थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया था और एसपी की अनुशंसा पर भगवानपुर थानाध्यक्ष को भी डीआईजी ने निलंबित कर दिया था. लेकिन युवती का शव मिलने के बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष रौशन कुमार द्वारा संजना का शव मिलने के बाद आनन फानन में एक एफआईआर दर्ज किया गया, जिसमें संजना के पिता, बहन और उसके चाचा को अभियुक्त बना दिया गया था. इस मामले का अनुसंधान कर्ता थाने के एस आई अभय शंकर सिंह को बना दिया गया. जैसे ही इस मामले की जानकारी एसपी को हुई एसपी ने थानाध्यक्ष पर जन सेवक होते हुए किसी को क्षति पहुंचाने के लिए गलत दस्तावेज बनाने के आरोप में प्राथमिकी कराई. एफआईआर होने के बाद से पूर्व थानाध्यक्ष भूमिगत हो गये हैं.
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