हाजीपुर. अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा, जिला कार्यकारिणी की बैठक में नौ जुलाई को ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने का निर्णय लिया गया. नगर के रामचौरा स्थित माले कार्यालय में बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता जिला सचिव रामबाबू भगत ने की. बैठक में संगठन के राज्य सचिव शत्रुध्न सहनी ने कहा कि मोदी सरकार हर आपदा में पूंजीपतियों के लिए अवसर की तलाश करती है. कोरोना जैसे आपदा के दौरान किसानों की जमीन और फसल को अडाणी-अंबानी के हवाले करने के लिए तीन काले कृषि कानून लाये गये. इसके खिलाफ किसानों के 13 महीनों के ऐतिहासिक संघर्ष के कारण सरकार को ये कानून वापस लेने पड़े. इसी दौरान मोदी सरकार ने मजदूरों के हित में बने 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर मजदूरों को गुलाम बनाने वाला चार श्रम कोड लाया. देश के मजदूर गुलामी के प्रतीक इस श्रम कोड को स्वीकार नहीं करेंगे. 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ नौ जुलाई को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है. इसमें खेत मजदूर संगठन अपने बैनर-झंडे के साथ आगे बढ़कर हिस्सा लेगा. खेग्रामस राज्य सचिव ने कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार ने भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को पांच-पांच डिसमिल आवासीय जमीन, पक्का मकान देने तथा छह हजार रुपये से कम मासिक आय वाले महागरीबों को लघु उद्योग योजना से दो लाख रुपये की सहायता देने का वादा किया था, जो जुमला साबित हुआ. गांव-गांव में खेत मजदूरों को संगठित कर इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार को मजबूर करना होगा. 30 जून को हाजीपुर में जिला स्तरीय कन्वेंशन आयोजित कर नौ जुलाई की हड़ताल को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प लिया जायेगा. मौके पर भाकपा माले के जिला सचिव विशेश्वर प्रसाद यादव ने कहा कि अब इस सरकार से मांगने का समय नहीं रहा. राज्य में 20 वर्षों से डबल इंजन की सरकार झूठ-लूट और भ्रष्टाचार की बुनियाद पर चल रही है. भाकपा माले की ओर से 18 से 27 जून तक चलने वाले बदलो सरकार, बदलो बिहार अभियान में खेत मजदूरों को शामिल कराने की अपील की. बैठक में पवन कुमार सिंह, रामबाबू पासवान, कमलदेव नारायण भगत, उमेश महतो आदि ने विचार रखे.
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