हाजीपुर. आधा जून बीत चुका है और मॉनसून आने को है, लेकिन शहर में सीवरेज सिस्टम का प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका. ऐसे में, नगरवासी इस बार भी बरसात में जलजमाव की समस्या झेलने को विवश होंगे. सीवरेज निर्माण कार्य पूरा नहीं होने के चलते शहर के लोगों को जलजमाव की समस्या से निजात नहीं मिल सकी है. हर साल बरसात के मौसम में शहरवासियों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है. दर्जनों मुहल्लों और कॉलोनियों में बारिश के बाद दो-तीन महीनों तक पानी जमा रहता है. शहरी क्षेत्र में जल निकासी की स्थिति यह है कि आधे घंटे की बारिश में ही यहां की सड़कें और गलियां पानी में डूब जाती हैं. नगर क्षेत्र को जलजमाव से मुक्ति और गंदे पानी की निकासी व उसके ट्रीटमेंट के लिए बहुत पहले ही सीवरेज सिस्टम की योजना बनी थी. करीब डेढ़ दशक बाद भी इस पर काम ही चल रहा है. जबकि निर्माण एजेंसी पिछले साल के अंत तक प्रोजेक्ट पूरा होने का दावा कर रही थी.
2010 में मिली स्वीकृति, 2011 से शुरू हुआ काम
हाजीपुर शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये नहरों में बहाये जाने की योजना को 12 अप्रैल 2010 को स्वीकृति मिली थी. नेशनल गंगा बेसिन ऑथोरिटी ने इस प्रोजेक्ट के लिए 113 करोड़ 62 लाख रुपये का आवंटन दिया था. हालांकि बाद में इसका बजट बढ़कर लगभग सवा सौ करोड़ का हुआ और उसके बाद बढ़ता ही गया. नगर में सीवरेज निर्माण का काम 12 दिसंबर 2011 को शुरु हुआ. दो वर्षों में यानी दिसंबर 2013 तक इसे पूरा कर लेना था. चीन की कंपनी ट्राइटेक (बीजिंग) ने इस कार्य को अपने हाथ में लिया था. बिहार अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की देखरेख में इस योजना पर काम शुरु हुआ. शुरुआत में तो काम की रफ्तार ठीक रही, लेकिन आगे चलकर इसमें ब्रेक लग गया. कार्य की धीमी गति के कारण कई बार योजना पूरी होने की समय सीमा बढ़ायी गयी. पहले मार्च 2015, फिर 2016 तक का समय निर्धारित किया गया. निर्माण एजेंसी को सरकार की ओर से कई बार चेतावनी मिलने के बाद भी कार्य की रफ्तार नहीं बढ़ी. वर्ष 2017 तक महज 55 किलोमीटर में पाइपलाइन बिछायी जा सकी. इसके अलावा शहर के औद्योगिक क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हुआ, लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका. प्रोजेक्ट का लगभग 60 प्रतिशत काम बाकी ही रह गया और 2017 के बाद इस पर काम ही बंद हो गया. इसके कई साल बाद फिर नये सिरे से सीवरेज निर्माण की योजना बनी और इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी बुडको को दी गयी.आइपीएस व मेनलाइन का चल रहा कार्य
बुडको के माध्यम से सीवरेज सिस्टम का कार्य फिर से शुरू होने के बाद नगरवासियों में इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद जगी. हालांकि एग्रीमेंट के मुताबिक कार्य एजेंसी को 18 महीने में इस प्रोजेक्ट को पूरा कर देना था. इस समयसीमा में योजना पूरी नहीं हुई और आज भी इस पर काम चल रहा है. बुडको के अभियंता ने बताया कि ब्रांचलाइन का काम लगभग पूरा हो चुका है और अब मेनलाइन का काम पूरा होना बाकी है. शहर के औद्योगिक क्षेत्र में एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) के अलावे विभिन्न इलाकों में पंपिंग स्टेशनों के निर्माण में कुछ काम बाकी रह गया है. आइपीएस के अलावा मेन पाइपलाइन का काम भी बचा हुआ है. बताया गया कि प्रोजेक्ट का 90 फीसदी से ज्यादा काम पूरा कर लिया गया है. इस साल के अंत तक प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाने की उम्मीद है. लेकिन, पिछले कई सालों से निर्माण की रफ्तार और बचे हुए कार्यों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि अगले साल भी मॉनसून से यह पूरा होगा या नहीं.क्या कहती हैं नप सभापति
सीवरेज निर्माण में कार्य एजेंसी की लापरवाही को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री से मिलकर शिकायत की गयी है. हमने विभाग के मंत्री को बताया है कि सीवरेज के कारण नगर परिषद हाजीपुर की सभी सड़कें टूट चुकी हैं. सड़कों को बनाया भी नहीं जा रहा और न ही घरों का कनेक्शन किया जा रहा है. जहां-जहां सड़क की खुदाई होती है, वहां नल-जल का पाइप भी टूट जाता है, बताने के बाद भी बुडको द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. सीवरेज सिस्टम के अधूरे कार्य के कारण शहर में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो सकती है. मंत्री से इस पर उचित कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.डॉ संगीता कुमारी
, सभापति, नगर परिषदडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है