हाजीपुर. वैशाली जिले की चौपालों पर इन दिनों एक अलग ही माहौल देखने को मिल रहा है. जिस चौपाल में महिलाएं घरों की देहरी के भीतर से ही अपनी बात रखती थीं, आज वो महिलाएं चौपाल पर पहुंचकर अपनी समस्याओं के संबंध में बेबाकी से बोल रही हैं. प्रशासन के अधिकारियों के सामने सवाल उठा रही हैं और बदलाव की बातें कर रही हैं. इस परिवर्तन की नींव रखी है ‘महिला संवाद’ कार्यक्रम ने, जो अब किसी सरकारी योजना से कहीं आगे बढ़कर ग्रामीण महिलाओं की चेतना का एक सशक्त आंदोलन बन चुका है.
जिले के 16 प्रखंडों में फैले एक हजार 531 ग्राम संगठनों में अब तक लगभग तीन लाख आठ हजार महिलाएं इसमें भाग ले चुकी हैं. ये महिलाएं सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि बदलाव की प्रतिनिधि हैं, जो अपने अधिकार, जरूरतें और नेतृत्व की संभावनाएं पहचान रही हैं. शनिवार को भी जिले भर में 42 स्थानों पर संवाद कार्यक्रम हुआ, जिनमें 88 सौ से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया.किशोरी क्लब की सदस्यों तक ने बुलंद की आवाज
पंचायतों की महिला प्रतिनिधियों से लेकर किशोरी क्लब की लड़कियों तक, हर आवाज ने किसी न किसी जरूरत, संघर्ष या उम्मीद को शब्द दिया. इन संवादों में सबसे खास भूमिका निभाई मोबाइल संवाद रथों ने. 21 तकनीकी संसाधनों से लैस वैन, जो गांव-गांव जाकर महिलाओं को जानकारी, प्रेरणा और संवाद का मंच प्रदान कर रही हैं. एलईडी स्क्रीन पर चलती कहानियां, योजनाओं की सरल जानकारी और आडियो-विज़ुअल सामग्री ने इन संवादों को केवल जानकारीपरक नहीं, बल्कि अनुभवपरक भी बना दिया. ये वैन अब गांवों की गलियों में एक चलते-फिरते बदलाव की प्रतीक बन चुकी हैं. सत्रों में उभरकर आए मुद्दे बेहद महत्वपूर्ण थे. पेंशन की बढ़ोतरी से लेकर उच्च शिक्षा के संस्थानों की आवश्यकता तक, सड़क संपर्क, परिवहन, स्वरोज़गार और किशोरियों के लिए सुरक्षित स्थानों की मांग. हर बात ने यह साबित किया कि ग्रामीण महिलाएं अब केवल लाभ लेने वाली नहीं, बल्कि नीति निर्माण की प्रक्रिया में भागीदार बन चुकी हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है