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Higher education in Bihar : देश में कुल पीएचडी नामांकन में बिहार की हिस्सेदारी केवल 2 फीसदी, विवि से मांगी जायेगी सूची

बिहार की 10 करोड़ की आबादी में से वर्तमान में केवल 3362 पीएचडी नामांकित हैं. पीएचडी के लिए यह नामांकन 2019 तक के हैं.

पटना. देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पीएचडी के लिए कुल नामांकित 169170 अनुसंधानकर्ताओं में से बिहार में नामांकित अनुसंधान विद्यार्थियों की संख्या दो फीसदी से भी कम है, जबकि देश की आबादी में बिहार की हिस्सेदारी करीब आठ फीसदी है.

बिहार की 10 करोड़ की आबादी में से वर्तमान में केवल 3362 पीएचडी नामांकित हैं. पीएचडी के लिए यह नामांकन 2019 तक के हैं.

इसमें महिलाओं का प्रतिशत केवल 33% है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर पीएचडी के लिए नामांकित महिला नामांकन 43% हैं.

पीएचडी नामांकन के लिहाज से बिहार का यह आंकड़ा सोचनीय है, यह देखते हुए कि बिहार की तुलना में आबादी में काफी कम झारखंड जैसे राज्य में पीएचडी के लिए नामांकन बिहार से केवल नाम मात्र के लिए कम 2903 हुए हैं.

बिहार के समकक्ष राज्यों मसलन मध्यप्रदेश में 4093, उत्तरप्रदेश में 19119 नामांकन हुए हैं. आबादी के हिसाब से समकक्ष राज्य महाराष्ट्र में 8792 पीएचडी नामांकित विद्यार्थियों की संख्या बिहार की तुलना में कहीं अधिक है.

विवि से मांगी जायेगी पीएचडी और अ पेटेंट की सूची

इधर, पटना प्रदेश के विश्वविद्यालयों से उनकी तरफ से करायी पीएचडी और उनके पेटेंट्स की जानकारी तलब की जा रही है. राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद इस दिशा में जल्दी ही प्रदेश के सभी परंपरागत विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी करेगा.

आधिकारिक पत्र के जरिये मांगी जाने वाली जानकारी में विश्वविद्यालयों से उनके पास मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर के अलावा विभिन्न विषयों जैसे-शिक्षकों, विद्यार्थियों की संख्या, संबद्ध कॉलेजों की संख्या एवं अन्य जानकारियां तलब की जा रही हैं.

अभी तक यह जानकारी राज्य सरकार के पास मौजूद नहीं है. यह समूची जानकारी नयी शिक्षा नीति को लागू करने के संदर्भ में मांगी जा रही है.

अनुसंधान बढ़ाने को बनाया जा रहा ब्लूप्रिंट

फिलहाल राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद इस मामले में बेहद गंभीर है. परिषद के उपाध्यक्ष प्रो कामेश्वर झा ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक ब्लूप्रिंट बना रही है, जिसके तहत काम किया जायेगा. बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के मुताबिक इस दिशा में अहम कदम उठाये जा रहे हैं.

प्रो झा ने जोर देकर कहा कि नयी शिक्षा नीति के पालन की दिशा में बनायी जा रही समितियों में एक समिति अनुसंधान कार्यों को भी देखेगी. ऐसे अनुसंधान को बढ़ावा दिया जायेगा, जो न केवल मौलिक हों, बल्कि प्रदेश के विकास में योगदान देने वाले हों.

Posted by Ashish Jha

Prabhat Khabar News Desk
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