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जिले में विगत तीन वर्षों में हिट एंड रन के केस में हुई है 146 लोगों की मौत

जिले में विगत तीन वर्षों में हिट एंड रन के मामले में 146 लोगों की मौत हो गयी है. जिले के लिए आंकड़ा बहुत बड़ा है.

जहानाबाद. जिले में विगत तीन वर्षों में हिट एंड रन के मामले में 146 लोगों की मौत हो गयी है. जिले के लिए आंकड़ा बहुत बड़ा है. जिले में औसतन प्रतिवर्ष हीट एंड रन के मामले में करीब 50 लोगों की जान जा रही है. सड़क पर वाहन चालक के द्वारा किसी व्यक्ति को वाहन से कुचलकर भाग जाने के मामले को हिट एंड रन का केस कहा जाता है. ऐसे मामलों में उसे गाड़ी की पहचान नहीं होती है जिससे किसी व्यक्ति की दुर्घटना हुई है या कोई व्यक्ति कुचला गया है. यह उन मामलों से अलग है जिसमें दुर्घटना के बाद या तो गाड़ी पकड़ी जाती है या फिर उसकी पहचान हो जाती है. ऐसे मामलों में गाड़ी से दुर्घटना में हुई मौत या व्यक्ति के घायल होने पर उनके परिजनों को मुआवजा वह कंपनी देती है जिस कंपनी से गाड़ी का इंश्योरेंस कराया होता है. किंतु जब कोई वाहन किसी व्यक्ति को कुचलकर भाग जाता है तो ऐसे मामलों में पीड़ित या उसके परिजनों को मुआवजा देने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कुछ वर्ष पहले तक ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार को मौज नहीं मिलता था. किंतु वर्ष 2022 से सरकार ने ऐसे मामलों में भी मुआवजा देने की पहल की है और इसके लिए सरकार के द्वारा जनरल इंश्योरेंस कंपनी से करार किया गया है. 1 अप्रैल 2022 से अब तक जिले में हीट एंड रन के मामले में 146 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें उक्त व्यक्ति को कुचल कर भागने वाले वाहन की पहचान नहीं की जा सकी है. जिले में अब तक हिट एंड रन मामले में हुई 146 मौतों में से 119 मृतक के परिजनों के द्वारा मुआवजे के लिए जहानाबाद जिला परिवहन कार्यालय को आवेदन दिया गया है.

परिवहन विभाग के प्रयास से ऐसे मामलों का निष्पादन भी किया जा रहा है और उनके परिजनों को मुआवजे की राशि दिलवाई जा रही है. हिट एंड रन मामला उस समय चर्चा में आया है जब संसद में इस मामले में नया कानून पास कराया गया जिसमे कडी सजा का प्रावधान किया गया है. इसके बाद देश भर के चालकों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल भी की थी. हीट एंड रन मामला उसे कहा जाता है जब कोई अज्ञात वाहन किसी व्यक्ति को कुचलकर या ठोकर मारकर भाग जाता है इसके बाद उसे मृतक अथवा घायल व्यक्ति को मुआवजा देने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. सड़क पर चलने वाले प्रत्येक वाहन का इंश्योरेंस कराया जाता है. बगैर इंश्योरेंस की कोई भी गाड़ी सड़क पर नहीं चल सकती है, क्योंकि बिना इंश्योरेंस के किसी भी गाड़ी का ना तो रजिस्ट्रेशन होता है न हीं फिटनेस बनती है और न हीं परमिट बनता है. किसी भी कंपनी से इंश्योरेंस में उस वाहन और वाहन पर बैठे ड्राइवर और खलासी के साथ-साथ थर्ड पार्टी का भी इंश्योरेंस होता है. यानी उक्त वाहन से दुर्घटना होने पर सड़क पर चल रहे किसी व्यक्ति को थर्ड पार्टी कहते हैं. वह व्यक्ति पैदल या किसी दूसरे वाहन पर सवार व्यक्ति हो सकता है. ऐसे में किसी इंश्योर्ड वाहन से दुर्घटना होने पर अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है अथवा कोई घायल हो जाता है, तो उसे मृत व्यक्ति के परिजन अथवा घायल के द्वारा क्लेम करने पर उक्त इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा मुआवजे की राशि दी जाती है किंतु जब कोई गाड़ी किसी व्यक्ति या दूसरे वाहन को कुचलकर या ठोकर मार कर भाग जाता है तो ऐसी घटना में दुर्घटना में किसी व्यक्ति की जान जाने अथवा घायल होने पर उक्त व्यक्ति अथवा उसके परिजन को अब तक मुआवजे मिलने में बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता था या दूसरे शब्दों में कहें तो मुआवजा नहीं मिल पाता था. इन सब मामलों को देखते हुए सरकार ने इंश्योरेंस कंपनियों से बातचीत कर ऐसी घटना में मृत व्यक्तियों के परजनों अथवा घायलों को मुआवजा दिलवाले का रास्ता निकाला है. ऐसे ही 1 अप्रैल 2022 के बाद से हिट एंड रन मामलों के शिकार हुए पीड़ित व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों के द्वारा मुआवजे के लिए जहानाबाद जिला परिवहन कार्यालय को अब तक 119 आवेदन प्राप्त हुए हैं. अब इन आवेदनों में से 111 आवेदनों की जांच कर उसका पूरा ब्योरा जनरल इंश्योरेंस कंपनी को भेजा गया था. जिनमें से 96 मामले की जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने निष्पादन कर दिया है. इन मामलों में मृतक के परिजनों को ₹200000 की मुआवजा राशि उनके परिजनों को दी गई है जबकि घायलों को ₹50000 का मुआवजा दिया गया है। वैसे मामलों में जिसमें दुर्घटना के बाद दुर्घटना को अंजाम देने वाले वाहन की जानकारी होती है उसमे मृतक के परिजनों को कम से कम पांच लाख रुपए और घायलों को ढाई लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है.

मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के माध्यम से दिलाया जाता है मुआवजा : जहानाबाद जिला परिवहन कार्यालय के द्वारा इन 146 मामलों में प्राप्त 119 आवेदनों में से 111 को मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण गया को भेजा गया था जिसके माध्यम से इन मामलों को जनरल इंश्योरेंस कंपनी को भेजा गया. इसके बाद इनमें से अब तक 96 मामलों का निष्पादन किया गया है. 15 मामलों पर कार्रवाई चल रही है. उधर 119 आवेदनों में से आठ आवेदन ऑन के मामले की जांच और छानबीन की जा रही है. इन मामलों में सारी कानूनी और कागजी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद उसे भी मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण गया को भेजा जायेगा. इसके बाद जनरल इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से उन्हें मुआवजा दिलवाया जायेगा.

समय पर एफआईआर नहीं होने पर मुआवजे दिलाने में होती है परेशानी : परिवहन विभाग के द्वारा जांच के दौरान यह बात सामने उभर कर आई है कि दुर्घटना मैं शामिल वाहन के भाग जाने पर और उसकी जानकारी नहीं होने पर मुआवजा मिलने में तो दिक्कत आती ही है समय पर एफआइआर दर्ज नहीं होने पर भी क्लेम करने और उसके निष्पादन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसे मामलों में मुआवजा मिलने में बहुत दिक्कत होती है.

तुरंत दर्ज करायी जाये एफआइआर : किसी भी सड़क दुर्घटना में मृतक के परिजन अथवा घायल व्यक्ति को मुआवजा दिलाने के लिए सरकारी स्तर से लेकर जिला स्तर तक उक्त जिले के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में सख्त होना पड़ेगा कि किसी भी दुर्घटना के मामले में संबंधित थाने में तुरंत एफआईआर दर्ज की जाये चाहे उसे मामले में वैसे वाहन जिससे दुर्घटना हुई है का पता हो या ना हो. दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति अथवा उसके परिजन को भी ऐसे मामलों में तुरंत एफआईआर के लिए पहल करनी चाहिए.

क्या कहते हैं अधिकारी

हिट एंड रन के मामले में जिले में मुआवजे के लिए अब तक 119 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनमें से 111 आवेदनों को छान बीन के बाद निष्पादन के लिए दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण और जनरल्स इंश्योरेंस कंपनी के पास भेजा गया था. इन मामलों में से 96 का निष्पादन हो चुका है और उनके परिजन अथवा घायल व्यक्ति को मुआवजे की राशि मिल चुकी है.

करिश्मा सिंह, एडीटीओ, जहानाबाद

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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