कुर्था. विगत दिनों करपी प्रखंड के मंगाबिगहा गांव के समीप पुल पर घटी हृदय विदारक घटना से भी जिला प्रशासन सबक नहीं ले रही है, आज भी प्रखंड क्षेत्र के कई ऐसे जर्जर पुल हैं जो रखरखाव की वजह से इतनी जर्जर हो गई है कि कभी भी अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है. बता दें कि कुर्था प्रखंड के राजेपुर गांव में एक जर्जर पुल की वजह से आवागमन को लोग तरस रहे हैं. लोगों को आवागमन में इतनी कठिनाइयां होती हैं कि यहां आने वाले अतिथि भी सबसे पहले गांव वालों से फोन पर पूछते हैं कि आपके यहां के जर्जर पुल बन गया है या नहीं. कुर्था प्रखंड को जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता लगभग दस हजार की आबादी वाले राजेपुर गांव के ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बन गया है. हालात ऐसे हैं कि बाहर से आने वाले अतिथियों को गांव तक सुरक्षित लाने के लिए ग्रामीणों को घंटों खड़ा रहना पड़ता है. वजह, गांव तक पहुंचाने वाली एकमात्र रास्ता को जोड़ने वाले पुल का क्षतिग्रस्त होना है. तकरीबन साल भर पहले से बनी ऐसी स्थिति के कारण ग्रामीणों को शादी-ब्याह जैसे समारोहों में ज्यादा मुश्किलें होती हैं. आम तौर पर अपने रिश्तेदारों को यह फोन कर पुल की दुर्दशा बता सुरक्षित आने को हिदायत दे देते हैं, लेकिन शादी-ब्याह में आने वाले सभी अतिथियों को फोन करना संभव नहीं हो पाता है, ऐसे में जिस किसी ग्रामीण के यहां शादी या दूसरे किसी भी समारोह में अतिथि आने होते हैं, उस परिवार के लोग पुल पर खड़े होकर अतिथियों को सुरक्षित पार कराते हैं. बताते चलें कि कुर्था प्रखंड के मानिकपुर पंचायत अंतर्गत आने वाला यह राजेपुर गांव कुर्था प्रखंड कार्यालय से 10 किलोमीटर और अपने मानिकपुर पंचायत से महज साढ़े 3 किलोमीटर की दूरी पर है. सबसे बदतर हालात तो बरसात के दिनों में हो जाते हैं. क्या कहते हैं लोग पुल क्षतिग्रस्त होने से तकलीफों को तो छोड़ दीजिए, कभी भी बड़ी घटना हो सकती है. कार्यालयों में बैठे लोग मानो किसी की मौत के इंतजार में हैं, तभी इस पर ध्यान आकृष्ट होगा. वीरेंद्र यादव हमलोग अब बोल बोलकर थक चुके हैं. सैकड़ों योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, पर इतनी बड़ी जनसंख्या वाले गांव के क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत तक के लिए पैसे नहीं है. खासकर बरसात के दिनों में पुल पार करना काफी कठिन हो जाता है. उत्तम कुमार बड़ी गाड़ियों का पुल क्रॉस करना असंभव है. राजेपुर और कुर्था प्रखंड को जोड़ने वाले पुल का ऊपरी हिस्सा कभी भी टूट कर गिर सकता है. यह आशंका हमेशा लोगों के अंदर बनी रहती है. फिलहाल पुल के एक तरफ से टूटने के कारण ग्रामीणों को बहुत परेशानी हो रही है. ट्रैक्टर, ट्रक या अन्य चार पहिया वाहन इस पुल से नहीं जा रहा है. सभी तरह के चार पहिया वाहन का आवागमन बिल्कुल ठप है. बड़ी गाड़ियों का जाना ते असंभव हो गया है. पुल निर्माण के बाद से आज तक मरम्मत नहीं कराया गया है. पप्पू कुमार राजेपुर गांव में एक कार्यक्रम में जा रहा था. गांव के पुल बेहद खतरनाक है. अच्छी बात तो यह है कि परिवार के लोग पुल के पास खड़े थे, अगर लोग पुल के पास खड़े नहीं रहते, तो किसी भी घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता है. बागेश कुमार
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