डीपीओ आईसीडीएस रचना सिन्हा ने माहवारी स्वच्छता किट वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लड़कियों में किशोरावस्था में शारीरिक बदलाव के साथ भावनात्मक बदलाव भी आते हैं. माहवारी स्वच्छता उत्पादों की कमी के कारण हमारी कई बच्चियों अस्वच्छ उपायों का चयन कर कई बीमारियों को न्यौता देती हैं. ऐसे में अभिभावक और शिक्षकों की भूमिका अहम हो जाती है. अभिभावक व शिक्षकों को उन्हें सही सलाह देकर माहवारी स्वच्छता प्रबंधन में मदद कर सकते हैं. वहीं सीओ विजया कुमारी ने कहा कि माहवारी स्वच्छता एक महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए, ताकि प्रत्येक किशोरियों को स्वच्छता संबंधी सही जानकारी प्राप्त हो सके. माहवारी एक प्राकृतिक वरदान है जिसके कारण महिलाएं मां बनती हैं. माहवारी के उचित प्रबंधन के साथ किशोरियां शारीरिक कार्य कर रही है और खेल-कूद के क्षेत्र में कीर्तिमान रच रही है. वहीं डीपीएम विनय प्रताप ने कहा कि माहवारी एक नियमित प्रक्रिया है. जो स्वस्थ महिलाओं को प्रत्येक 28वें दिन एक चक्र की भांति आता है. उसके बारे में खुलकर बात करने से कई भ्रांतियों से निजात मिलेगी. उन्होंने कहा कि माहवारी एक कुदरती वरदान है जिसके कारण महिलाएं मां बनती हैं. वहीं मिशन शक्ति के जिला समन्वयक धीरेंद्र कुमार ने कहा कि स्वच्छता के बिना हम अच्छी जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. माहवारी के दिनों में सुरक्षित प्रबंधन जरूरी है, जानकारी के अभाव में महिलाएं एवं छात्राओं के द्वारा असुरक्षित प्रबंधन करना कई बीमारियों को निमंत्रण देना है. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरियों को माहवारी के दौरान स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना था. तथा इस दिवस का उद्देश्य महिलाओं और किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में शिक्षित करना है. इससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिलती है. हालांकि महिला एवं बाल विकास निगम के बैनर तले जन जागरूकता के लिए विभिन्न जगहों पर माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से संबंधित फ्लैक्स का कई सार्वजनिक स्थानों पर अधिष्ठापन भी किया गया तथा बालिका उच्च विद्यालय में एक वीडियो फिल्म खिलती कलियों प्रदर्शित कर छात्राओं व किशोरियों को प्रेरित किया गया. इस मौके पर अरवल सीडीपीओ उर्मिला जयश्री, ओएससी केंद्र प्रशासक शिम्पू कुमारी के साथ अन्य महिला पदाधिकारी व कर्मी मौजूद रहें.
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