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Jehanabad : सीएम बाल हृदय योजना गरीबों के लिए है वरदान, 13 बच्चों का हुआ इलाज

हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए बाल हृदय योजना किसी वरदान से कम नहीं है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बाल हृदय योजना के तहत जिले के 13 बच्चों को आपरेशन कराया गया है.

अरवल

. हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए बाल हृदय योजना किसी वरदान से कम नहीं है. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बाल हृदय योजना के तहत जिले के 13 बच्चों को आपरेशन कराया गया है. बिहार सरकार के द्वारा संचालित मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम जिले के विभिन्न स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की स्क्रीनिंग कर दिल में छेद से ग्रसित बच्चों को चिह्नित करती है. इसके बाद एम्बुलेंस से बच्चों को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, पटना में भेजकर स्क्रीनिंग करायी जाती थी. इस बार अब पटना के आइजीएमएस में ही ऑपरेशन का व्यवस्था हो गया. इसके लिए अब बच्चो को अहमदाबाद नहीं भेजना पड़ेगा.

पहले चिह्नित बच्चों के दिल का ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद के सत्य साईं हॉस्पिटल में निःशुल्क ऑपरेशन कराया जाता था. बच्चे के साथ एक अटेंडेंट भी हवाई यात्रा कर अहमदाबाद जाते थे. जहा पर रहने खाने, चिकित्सकीय प्रबंधन, दवा की व्यवस्था निःशुल्क दी जाती थी. आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि इससे पहले जिला के 13 बच्चों का इलाज आरबीएस के तहत किया जा चूका है. रूबी कुमारी 16 वर्ष, अमन राह 12 वर्ष, ललिता कुमारी आठ वर्ष, अंकित कुमार नौ वर्ष, रंजीत कुमार 10 वर्ष, पुरुषतम कुमार सात वर्ष, पूजा कुमारी 16 वर्ष, आदर्श गुप्ता चार वर्ष, गौतम कुमार 11 वर्ष, अंकित कुमार 10 वर्ष, अलीना कुमारी चार वर्ष, सलव कुमार 16 वर्ष, शिवम कुमार 8 वर्ष को पहले भेजा जा चूका है और वे स्वस्थ्य जीवन जी रहे है. खानकाह के दो वर्षीय साहिल कुमार और कुर्था प्रखंड के फूलसागर के 11 वर्षीय नाजमी खातून को पटना भेजा जायेगा. उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 में शामिल ‘सबके लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा’ अन्तर्गत हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था की नई योजना ‘बाल हृदय योजना’ कार्यक्रम के तहत इलाज किया गया है. बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या व बीमारी है. एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले एक हजार बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में सर्जरी की आवश्यकता रहती है. आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ सुनील कुमार ने बताया बताया जिले में 5 प्रखंड में 9 आरबीएसके की टीम जिले के विभिन्न स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों का स्क्रीनिंग करती है. एक टीम आंगनबाड़ी पर जाती है तथा एक टीम स्कूल में जाती है. आंगनबाड़ी केंद्र पर 0 से 6 वर्ष के बच्चों का तथा स्कूलों में सात साल से 18 वर्ष तक के बच्चों का स्क्रीनिंग किया जाता है. औसतन 70 से 75 बच्चों का प्रतिदिन स्क्रीनिंग किया जाता है.

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