जहानाबाद. जिले के किसानों को जून माह में मौसम का भरपूर सहयोग मिला है. रुक-रुक कर हो रही बारिश से किसान खुश हैं. जिन किसानों के बिचड़े तैयार हो गए हैं, वैसे किसान खेत में पानी कर धान रोपने के लिए खेत की जुताई में जुट गए हैं. सोमवार की रात जिले में हुई बारिश से किसानों के हौसले और भी बढ़ गए हैं. जिन किसानों के खेत में पानी भरे हैं, वैसे किसान खेत में कादो कर अच्छे तरीके से खरपतवार निकाल कर मिट्टी को सड़ने के लिए छोड़ दिए हैं, ताकि धान का फसल बेहतर तरीके से लगाया जाए. हालांकि अभी तक इक्के-दुक्के जगहों पर ही धान रोपनी का कार्य शुरू हुआ है. इसके पीछे बिचड़े का तैयार नहीं होना सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है. किसान सुरेश शर्मा, रामकिशोर सिंह बताते हैं कि गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष बिचड़े को तैयार करने में भी किसानों को मौसम का काफी सहयोग मिला है. रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद आद्रा नक्षत्र के भी लगभग आधे समय बीतने को हैं. ऐसे में रोहिणी नक्षत्र के शुरुआती दौर में जिन किसानों ने खेत में बिचड़ा डाला था, उनका बिचड़ा तैयार हो चुका है, लेकिन जिन किसानों ने रोहिणी नक्षत्र के बाद बिचड़ा डाला है, वैसे किसान का बिचड़ा तैयार होने में कुछ समय लगेगा. कृषि विभाग के आंकड़े पर गौर करें तो जिले में 5000 हेक्टेयर में बिचड़े बुवाई का लक्ष्य रखा गया था. लक्ष्य के अनुरूप खेतों में 97 प्रतिशत बिचड़े डाले गए थे. वहीं 50000 हेक्टेयर में धन रोपनी का लक्ष्य रखा गया है. कृषि विभाग का मानना है कि बारिश होने के बाद किसान धान रोपने के लिए खेतों की तैयारी में जुट गये हैं. अगले एक सप्ताह में अगर मौसम का साथ मिला तो खरीफ फसल धान रोपने का कार्य जोर पकड़ेगा. जिले में पिछले तीन माह में हुई बारिश के आंकड़े पर गौर करें तो वर्ष 2025 में अप्रैल मई की अपेक्षा जून माह में तीन गुना अधिक बारिश हुई है. जिले के विभिन्न प्रखंड जहानाबाद, हुलासगंज, घोसी, काको, मखदुमपुर, मोदनगंज, रतनी फरीदपुर में मार्च महीने में जहां औसत वर्षा पात 2.53 प्रतिशत थी, अप्रैल माह में 20 प्रतिशत से अधिक अधिक बढ़कर 26.39 प्रतिशत हुई. हालांकि मई महीने में औसत वर्षा पात अप्रैल की अपेक्षा 2% घटकर 24.89% हुई. किसानों के लिए सबसे खुशी की बात यह रही कि खरीफ फसल की शुरुआत बिचड़े बोने से लेकर धनरोपनी का कार्य शुरू होने अभी तक मई की अपेक्षा जून में जिले में तीन गुना से अधिक 91.11% बारिश हुई है. बारिश होने के बाद किसान गदगद हैं.
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