जहानाबाद नगर
. दवाओं का उपयोग लोग जीवन रक्षा के लिए करते हैं लेकिन वही दवा जब नकली मिलने लगे तो जीवन की रक्षा कैसे हो सकती है. ऐसे में नकली व असली दवा की पहचान के लिए दवा के पतर पर दिये गये क्यूआर कोड और बार कोड को स्कैन कर इसकी पहचान किया जा सकता है. इसकी जानकारी उप औषधि नियंत्रक पूर्णिया राकेशनंदन सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि नकली-असली की पहचान करने के बाद ही लोग दवाओं की खरीद करें तभी दवा जीवनरक्षक साबित होगा. आंख मूंद कर दवा नहीं खरीदें, नहीं तो उन्हें असली के जगह पर नकली दवा मिल जायेगी. शुक्रवार की शाम नकली दवा की बिक्री की शिकायत पर औषधि नियंत्रकों की टीम द्वारा एक औषधि विक्रेता की दुकान पर छापेमारी किया गया था. छापेमारी दल में राकेशनंदन सिंह के अलावे सहायक औषधि नियंत्रक जमुई राकेश सिंहा, पटना से आये दो डीआई यशवंत झा, अमल कुमार के अलावे स्थानीय औषधि निरीक्षक केके शर्मा आदि शामिल थे. बताया गया कि जायरस कंपनी के द्वारा शिकायत किया गया था कि उनकी कंपनी की नकली दवा बेचा जा रहा है. कंपनी द्वारा ड्रग कंट्रोलर से इसकी शिकायत किया गया था जिसके बाद ड्रग कंट्रोलर द्वारा एक टीम का गठन कर शहर में संचालित दवा दुकान पर छापेमारी कराया गया. ऑक्सालजीन टैबलेट तथा थोम्बोफोस नाम की दो दवाओं का सैंपल भी टीम द्वारा लिया गया जिसे जांच के लिए भेजा गया है. जांच टीम को लीड कर रहे उप औषधि नंयत्रक ने बताया कि दवाओं की खरीद करते समय बार कोड व क्यूआर कोड स्कैन कर यह सुनिश्चित हो लें.
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