कुर्था. अरवल जिले में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में शामिल महिलाओं की आवाज गूंज रही है, जो कभी घर की चहारदीवारी तक सीमित थी, अब वहीं महिलाएं आत्मविश्वास से मंचों पर बोल रही हैं और सामाजिक मुद्दों पर मुखरता से अपने विचार रख रही हैं. यह बदलाव यूं ही नहीं आया, इसके पीछे है महिला संवाद जैसी दूरदर्शी और परिवर्तनकारी पहल, जिसने महिलाओं को केवल बोलने का अधिकार ही नहीं दिया, बल्कि उन्हें नेतृत्व की भूमिका में सशक्त रूप से स्थापित किया है. महिला संवाद अब एक मात्र सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि यह एक जनांदोलन का रूप ले चुका है, जो ग्रामीण समाज की सोच को जड़ से बदलने का कार्य कर रहा है. अरवल जिला के पांच प्रखंडों में सक्रिय इस अभियान के अंतर्गत अब तक 405 ग्राम संगठनों से लगभग 79871 हजार महिलाएं जुड़ चुकी हैं. यह आंकड़ा महज संख्या नहीं, बल्कि महिलाओं में आयी सामाजिक जागरूकता और आत्मबल का प्रतीक है. 28 मई को जिले भर में महिला संवाद के तहत संवाद सत्रों का आयोजन किया गया. कुल आठ स्थानों पर आयोजित इन सत्रों में 2471 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया. पंचायत प्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों की सदस्याओं, की प्रतिभागियों और स्थानीय छात्राओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया. महिलाओं ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए, सरकारी योजनाओं पर विचार रखे और सकारात्मक बदलाव के लिए उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किया. इस संवाद को और व्यापक बनाने के लिए अभियान में पांच मोबाइल संवाद रथों की विशेष पहल की गयी है. इन तकनीक-सम्पन्न वैनों में एलइडी स्क्रीन और ऑडियो-विजुअल कहानियों के माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकारों, सरकारी योजनाओं और सामाजिक विषयों की जानकारी सरल और प्रभावी रूप में दी जा रही है. इसी कड़ी में कुर्था प्रखंड के निघवां के नसीरना गांव में महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. संवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया और अपनी-अपनी आकांक्षाओं और सुझावों को व्यक्त किया. संवाद कार्यक्रम में प्रखंड परियोजना प्रबंधक चंदन कुमार, सामुदायिक समन्वयक नीतू कुमारी सहित अन्य कर्मी भी मौजूद रहें.
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