अरवल. भीषण गर्मी के कारण जिले के विभिन्न इलाकों में जल स्तर घटने से पेयजल की समस्या उत्पन्न होने लगी है. शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों में जलस्तर घटने से कई चापाकल और कुएं सूख गये हैं. इसके कारण लोगों को पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गयी है. जलस्तर घटने का प्रभाव सोनतटीय इलाकों में भी देखा जा रहा है. इसकी मुख्य वजह सोन नदी से बालू खनन माना जा रहा है. इस संदर्भ में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोनतटीय इलाकों में बालू खनन से पहले कभी भी जल स्तर घटने की समस्या उत्पन्न नहीं होती थी, लेकिन जब से सोन नदी से बालू खनन किया जा रहा है तब से सोन तटीय इलाकों में भी जलस्तर घटने का प्रभाव लोगों पर दिख रहा है. पेयजल के लिए लोग नल जल योजना का सहारा ले रहे हैं. कहीं-कहीं लोगों को दूर-दराज से भी पानी लाकर उसका उपयोग करने पर विवश होना पड़ रहा है. जलस्तर घटने से कुछ नल-जल योजना भी पूरी तरह से ठप पड़ी है जिससे लोगों को पीने का पानी की चिंता सता रही है. हालांकि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के द्वारा बंद पड़े चापाकलों की मरम्मति का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है. साथ ही नए चापाकल लगाने का कार्य भी विभाग द्वारा किया जा रहा है. इस संबंध में पीएचडी के कार्यपालक अभियंता रविरंजन कुमार ने बताया कि जिले में वर्तमान समय में जलस्तर की औसतन स्थिति 18 फुट है. हालांकि विभाग द्वारा बताये गये आंकड़े के अनुसार से कहीं-कहीं इससे भी कम जलस्तर का अनुमान लगाया जा रहा है. शहरी क्षेत्र में भी कई चापाकल का पानी सूख गया है. जल स्तर कम होने का सबसे ज्यादा प्रभाव विभाग द्वारा लगाये गये सामूहिक स्थल पर चापाकल पर देखा जा रहा है. जिससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि संवेदक द्वारा चापाकल लगाने में लापरवाही बरती गयी है. खास कर दलित, महादलित टोले में पेयजल की समस्या देखी जा रही है, जहां मोटर की सुविधा नहीं है, वैसे जगह पर लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं.
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