जहानाबाद. माॅनसून की बारिश होने के बाद इन दिनों सब्जियों की कीमत में भारी इजाफा हुआ है. हर प्रकार की हरी सब्जियां काफी महंगी हो गई है जिसके कारण सब्जी गरीबों की थाली से दूर हो चुकी है. रोज कमाने खाने वाले और गरीब लोग हरी सब्जी के लिए तरस रहे हैं. कोई भी हरी सब्जी 40 रूपये किलो से कम नहीं बिक रही है. ऐसे में गरीब तो गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों को भी हरी सब्जियां खाने में सोचना पड़ा रहा है. बताया जाता है कि पिछले दिनों रुक-रुक कर हो रही मानसून की बारिश के कारण सब्जियों का उत्पादन कम हो गया है. बारिश के कारण खेतों में लगी हरी सब्जियों के तत्तर को नुकसान पहुंचा है. इससे पहले हल्की-फुल्की बारिश और उसके बाद धूप निकलने से सब्जियों का उत्पादन ठीक-ठाक हो रहा था जिससे हरी सब्जियां सस्ती थीं किंतु मानसून की बारिश शुरू होने के बाद रुक-रुक कर आए दिन बारिश होने से सब्जियों के पौधे और लत्तर गल गए या मुरझा गए जिनसे सब्जियों के उत्पादन पर असर पड़ा है जिसके कारण सब्जियों का उत्पादन पहले के मुकाबले काफी कम हो गया. कम उत्पादन के कारण सब्जियां महंगी हो गईं. वैसे भी जहानाबाद जिले में कुछ एक सब्जियों का ही उत्पादन हो रहा है. जबकि अधिकांश सब्जियां बाहर से मंगाई जा रही हैं जिसके कारण सब्जियों का ट्रांसपोर्टिंग भाड़ा व अन्य खर्चों से सब्जियां महंगी हो रही हैं. जहानाबाद के थोक सब्जी विक्रेता नौशाद आलम बताते हैं कि बीन रांची से आ रहा है. भंटा भी बंगाल से ही आ रहा है. लोकल स्तर पर अमैन के इलाके में भी भंटा उगाया जाता है. हालांकि लोकल स्तर पर उगाया जाने वाले भंटे से पूर्ति नहीं हो पाती है. जबकि परवल भोजपुर जिले से आता है. जहानाबाद जिले में लोकल स्तर जो सब्जियां उगाई जा रही हैं. बारिश के कारण उनका उत्पादन कम हो गया है. बीन 60 से 80 रुपए किलो मिल रहा है. कटहल भी 40 से 50 रुपए केजी बिक रहा है. छेमी मटर 100 रुपए केजी बिक रहा है. परोर का भी वही हाल है वह 40 से 50 रुपए केजी से काम में नहीं मिल रहा है. भंटा भी 40 से 50 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. टमाटर भी इन दिनों 50 रुपए केजी मिल रहा था. भिंडी की कीमत भी 40 से 50 रुपए केजी है. कद्दू 50 रूपये पीस और कच्चा केला 50 रूपये दर्जन मिल रहा है. गरीबों के लिए आलू और परवल की सब्जी ही एक मात्र सहारा है. आलू की कीमत इन दिनों 20 से 25 रूपये प्रति केजी है.
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