अरवल.
इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए) के द्वारा शहर में आक्रोश मार्च व नुक्कड़ सभा किया गया. बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी विशेष सघन मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ जनता के बढ़ते असंतोष और लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए किया गया है. आरवाइए नेता टुन्ना शर्मा ने अध्यक्षीय भाषण में कहा है कि यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि संविधान और मताधिकार की रक्षा के लिए नौजवानों की निर्णायक हस्तक्षेप है. यह पूरी प्रक्रिया नये युवा वोटर, गरीब, दलित, मजदूर, प्रवासी और वंचित तबकों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश है और इसका सीधा लाभ सत्ताधारी भाजपा-जदयू गठबंधन को पहुंचाना है. जिस राज्य में जन्म प्रमाण पत्र सिर्फ 2.8 प्रतिशत लोगों के पास हो, वहां करोड़ों मतदाताओं से पासपोर्ट, जमीन के कागज, एनआरसी जैसी दुर्लभ और अपवर्गीय दस्तावेज मांगना एक तरह की वोटबंदी है. कहा कि यह पूरा अभियान मतदाता सूची के सामान्य सुधार की आड़ में नागरिकता साबित करने की नयी व्यवस्था थोपने जैसा है. जिसकी न तो कोई संवैधानिक वैधता है, न ही लोकतांत्रिक आधार. यह लोकतंत्र को कमजोर करने और संविधान के सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की भावना को कुचलने की कोशिश है. नेताओं ने सवाल उठाया है कि जब आधार, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज सरकारी योजनाओं और पहचान के लिए मान्य हैं, तो उन्हें मतदाता प्रमाण के तौर पर क्यों खारिज किया जा रहा है. इसलिए अब वक्त आ गया है कि जनता संविधान विरोधी आदेशों के खिलाफ सड़कों पर उतरे और यह साबित करे कि बिहार के लोग लोकतंत्र के असली रक्षक हैं. मार्च भाकपा माले कार्यालय से होते हुए मार्च ब्लॉक प्रांगण में पहुंची ब्लॉक प्रांगण में एक नुक्कड़ सभा भी किया गया नुक्कड़ सभा की अध्यक्ष ता इंकलाबी नौजवान सभा के जिला सचिव रामाकांत शर्मा उर्फ टुना ने किया. चुनाव आयोग बगैर राजनीतिक पार्टियों के सलाह लिए हुए बिहार पर एनआरसी थोपा गया. नागरिकता जानना और जांच करना चुनाव आयोग का काम नहीं है. मतदाता गहन पुनिरीक्षण वापस लो. इसको लेकर महागठबंधन के आह्वान पर बिहार के तमाम छात्र नौजवान महिलाएं व्यवसाय आगामी 9 जुलाई को मतदाता गहन पुननिरीक्षण वापस लेने के लिए सड़क पर उतरकर चुनाव आयोग को कानों तक पहुंचाने का काम करेंगे.
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