अरवल. जिले को धान का कटोरा कहा जाता है. रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बाद भी अभी तक नहर में पानी नहीं आया है. धान की रोपनी के लिए किसान रोहिणी नक्षत्र में ही खेतों में बिचड़ा डालने का कार्य प्रारंभ कर देते थे. मृगांसरा नक्षत्र में बिचड़ा गिराने के कार्य में तेजी आ गयी है. किसान अपने खेतों में लगे खर-पतवार को नष्ट करने के लिए ट्रैक्टर, पवार टीलर से जुताई कर रहे हैं. किसान सुरेश सिंह, गोबिंद सिंह ने बताया कि बिचड़ा डालने से पहले खेतों की सिंचाई कर उसकी जुताई कर दिये जाने से खर-पतवार नष्ट हो जाते हैं. ऐसा नहीं करने पर धान का बिचड़ा डालने के बाद उसमें काफी मात्रा में खर-पतवार हो जाते हैं, जिससे बिचड़ा कमजोर होता है. किसानों ने बताया कि हम लोग प्रत्येक वर्ष रोहिणी नक्षत्र में ही धान का बिचड़ा डालते हैं. अगर मौसम साथ दिया तो समय से बारिश हुई व नहरों में पानी आ गया तो धान की रोपनी समय पर हो जाती है पैदावार भी बंपर होता है. खेत की जुताई करा रहे किसान मनीष कुमार ने बताया कि हम लोग पिछले साल रोहिणी नक्षत्र के अंतिम चरण में धान का बिचड़ा डाला था. समय से बारिश होने पर रोपनी का कार्य पहले ही निपट गया था. समय से रोपनी होने के कारण पैदावार बंपर हुई.
मुख्य सोन कैनाल में पानी नहीं आया
मुख्य सोन कैनाल में पानी नहीं आया है जिसके कारण किसान पंप सेट के सहारे बिचड़ा लगाने को विवश हैं. मुख्य कैनाल में पानी नहीं आने के कारण रजवाहा में भी पानी नहीं है, जबकि प्रत्येक साल 25 मई को ही मुख्य कैनाल में पानी आ जाता था. 12 जून के बाद भी नहर में पानी नहीं आया है. इसके कारण जिले के किसान बिचड़ा डालने को लेकर चिंतित हैं. अधिकतर किसानों ने खेत भी तैयार कर लिया है जिसमे कुछ किसानों ने मोटर सबमर्सिबल व डीजल पंप सेट से खेतों में पानी भरना शुरू कर दिया है. किसान विनय कुमार, सतीश सिंह, मुकेश कुमार का कहना है कि पहले बिचड़ा तैयार होगा तो रोपनी भी पहले करा लेंगे जिससे फसल की अच्छी होगी. किसानों ने बताया कि अभी तक जिले के कोई भी राजवाहा में भी पानी नहीं पहुंचा है. अभी मुख्य नहर में पानी नहीं पहुंचा है. इस वर्ष खरीफ सीजन में खेती करने के लिए इंद्रपुरी बराज से सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है. 15 जून को पानी छोड़ा जायेगा. जल संसाधन विभाग का दावा है कि नहर के तटबंधों की मरम्मत व गाद की सफाई करा दी गयी है. उम्मीद है 20 जून तक नहर में पानी पहुंच जायेगा. तब खेत में धान का बिचड़ा किसान डाल सकेंगे. नहर में बांध बनाकर मछली मारने वाले लोगों पर विभाग की ओर से कार्रवाई करने की बात कही जा रही है. नहर की सफाई कर दिए जाने से पानी सीधे किसानों के खेतों तक पहुंच जायेगा. जिले में सोन उच्चस्तरीय मुख्य नहर की लंबाई लगभग 35 किलोमीटर है.
जिले में सहायक नहरों से होती है सिंचाई
सोन उच्चस्तरीय मुख्य नहर से करीब आधा दर्जन वितरणी निकली है, जो जिले के विभिन्न प्रखंडों से गुजरते हुए हजारों एकड़ भूमि की सिंचाई करती है. इसके बाद पटना जिले की भी 500 एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई करती है. सोन उच्च स्तरीय मुख्य नहर के अलावा जिले के किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए सरकारी नलकूप सहित मोटर और डीजल पंप सेट होते हैं. बारिश होने पर सोन नहर से पर्याप्त पानी मिलता है, लेकिन बारिश नहीं होने पर पानी कम मिल पाता है. अधिक बारिश होने पर खेतों में लगी हजारों हेक्टेयर धान की फसल पानी में डूबकर नष्ट हो जाती है. जिले में पिछले वर्षा 47 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि में धान की खेती हुई थी. इस संबंध में सोन कैनाल के कार्यपालक अभियंता सतीश कुमार ने कहा कि नहरों की सफाई कर क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मत करा दी गयी है. 15 जून तक खोला जायेगा. 20 जून तक पानी पहुंच जायेगा.
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