अरवल.
धान का कटोरा कहे जाने जिला में इधर दस दिनों से बारिश नहीं होने के कारण धान की फसल पर संकट मंडराने लगा है. हल्की बारिश और कई दिनों से बादल कर रहा और बरसात नहीं हो रही. रोहणी नक्षत्र में खेतों में लगे धान बिचड़ा तैयार हो गया है. लेकिन बारिश के अभाव में बड़े भू-भाग पर रोपणी के प्रभावित होने की भी आशंका है. राज्य सरकार किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए कई योजना चला रही है. लेकिन संबंधित अधिकारियों कि लापरवाही के कारण किसानों को इसका लाभ नही मिल पा रहा है. सिंचाई विभाग द्वारा संचालित परहा वितरनी विभागीय अधिकारियों के देखरेख एवं उदासीनता के कारण मृत होने के कगार पर है. इस क्षेत्र के कई किसान बारिश और बोरिंग पर आधारित हो गये है. कुछ किसान पंपसेट चलाकर धान रोपनी आरंभ कर दिये है. लेकिन पंपसेट से खेतो में पर्याप्त पानी नहीं हो रहा. मालूम हो कि परहा वितरणी नोनिया बिगहा गांव से मुड़िका लाइन से निकलती है. मुड़िका लाइन का पिछले वर्ष उड़ाही कार्य हुआ है. इससे निकलने वाली परहा वितरनी आठ किलोमीटर लंबी है. जो नगवा तक जाती है. जिसमें अरवल जिले के साथ पटना जिले के भी कई गांव का सिंचाई होती है. समय पर साफ सफाई एवं मरम्मत नहीं होने के कारण कई जगहों पर नहर टूट कर बिखर गया है. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. जिसके कारण नहर में पानी आने के बाद भी किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. किसान रमेश कुमार, रणधीर यादव, राजेंद्र सिंह, श्यामदेव महतो , सुधीर यादव ने बताया कि विभाग द्वारा एक तो सही समय पर पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है. यदि आता भी है तो इसका लाभ नही मिल पाता है. अभी धान का रोपनी का समय पानी कि अति आवश्यकता है. फिर भी नहर में पानी नही मिल पा रही है. यदि पानी नहर में उपलब्ध भी होता है तो नहर दर्जनों जगहों पर क्षतिग्रस्त, और अवैध रूप से बनायी गयी नाली के कारण नहर बर्बाद हो जाता है. कभी भी कोई कर्मी नहर का देख रेख नही करते हैं. जिससे पानी अनुपयोगी जगहों पर जाकर बर्बाद हो जाती है. किसानों ने बताया कि नहर में पानी आने के बाद नहर टूटे रहने के कारण यत्र तत्र पानी बहते रहता है. विभाग के अधिकारी कि जानकारी किसानों को नहीं रहने के कारण इस समस्याओं का शिकायत भी नहीं कर पाते हैं. नहर में गाद, जंगल और कचड़ा भरा हुआ है नहर के तटबंध पर कई लोग अतिक्रमण किए हुए है ऐसी स्थिति नहर किनारे खेत होने के बावजूद भी डीजल पंप सेट और मोटर पंप सेट का सहारा लेना पड़ता है.
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