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बिहार-झारखंड के कांग्रेस विधायक हैदराबाद ही क्यों भेजे गए? पार्टी में टूट की आशंका के बीच क्या है टूर की वजह..

बिहार और झारखंड में सियासी उथल-पुथल के बीच कांग्रेस ने अपने विधायकों को हैदराबाद भेज दिया. फ्लोर टेस्ट से पहले ये विधायक हैदराबाद में ही रहे. इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा है कि आखिर क्यों हैदराबाद का ही चयन किया गया.

Political News: बिहार और झारखंड की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल मचा है. बिहार में महागठबंधन की सरकार गिरी और एनडीए वापस सत्ते में आयी तो वहीं दूसरी ओर झारखंड में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने हैं. दोनों राज्यों में सत्ताधारी गठबंधन को अपने-अपने विधानसभा में बहुमत साबित करना है. इससे पहले सत्ताधारी दलों में टूट की संभावना को देखते हुए विधायकों को उक्त राज्य से बाहर रखा गया. झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस के विधायक बाहर भेजे गए तो बिहार में कांग्रेस ने अपने विधायकों को प्रदेश से दूर रखा. एक कॉमन बात दोनों राज्यों में यह रही है कि तमाम विधायकों को हैदराबाद ही भेजा गया. हैदराबाद को ही क्यों चुना गया, इसे लेकर तरह-तरह की बातें सियासी मामलों के जानकार कह रहे हैं.

बिहार कांग्रेस के विधायकों को हैदराबाद भेजा गया

बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ है. महागठबंधन की सरकार गिरी और नीतीश कुमार ने भाजपा व एनडीए के अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनायी. वहीं कांग्रेस के विधायकों को पहले आलाकमान ने दिल्ली बुलाया और फिर सभी विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया. यह चर्चा तेज हुई कि कांग्रेस को यह डर सता रहा है कि उनके खेमे में सेंधमारी का प्रयास सत्ताधारी पार्टी कर सकती है. इसलिए फ्लोर टेस्ट में ही विधायकों को बिहार लाया जाएगा. हालांकि बिहार कांग्रेस ने अपने विधायकों पर सत्तारूढ़ एनडीए द्वारा डोरे डाले जाने की चर्चा को अफवाह करार दिया है. साथ ही अपने सभी 19 विधायकों को एकजुट बताया है. बिहार कांग्रेस विधायकों का एक फोटो रविवार शाम एक्स हैंडल पर सामने आया है. इसमें सभी विधायक तेलंगाना के हैदराबाद हवाइ अड्डा पर दिख रहे हैं. उन्हें एक बस के जरिए कड़ी सुरक्षा के बीच एक रिसोर्ट पहुंचाया गया.


झारखंड के विपक्षी विधायकों को हैदराबाद भेजा गया

इधर, झारखंड में भी सियासी घमासान मचा हुआ है. पिछले दिनों हेमंत सोरोन को ईडी ने गिरफ्तार किया तो चंपाई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब चंपाई सरकार को अपना बहुमत साबित करना है. इसके पहले जेएमएम और कांग्रेस में टूट की संभावना को लेकर तरह-तरह की चर्चा चलती रही. इस बीच दोनों दलों ने अपने-अपने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया. फ्लोर टेस्ट के लिए सभी विधायक वापस रांची भेजे गए.

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आलाकमान से विधायकों को एकजुट रहने का मिला मंत्र

बिहार के कांग्रेस नेताओं को जब आलाकमान ने दिल्ली बुलाया तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनके साथ बैठक की. मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने नेताओं को एकजुट रहने का मंत्र दिया. इस बैठक में कांग्रेस के तीन विधायक शामिल नहीं हुए. वहीं हैदराबाद भेजे जाने वालों में भी कांग्रेस के वो तीन विधायक शामिल नहीं हैं.


हैदराबाद ही क्यों भेजे गए विधायक?

दोनों राज्यों की कांग्रेस ईकाई ने हैदराबाद को ही क्यों चुना इसे लेकर भी अलग चर्चा सियासी गलियारे व राजनीतिक जानकारों के बीच है. दरअसल, तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी है और कांग्रेस को हैदराबाद इसके लिए सबसे सेफ जगह लग रहा होगा. हालांकि बिहार कांग्रेस की ओर से यह दलील दी जा रही है कि नयी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री को बधाई देने उनके तमाम विधायक पहुंचे हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने हैदराबाद में कहा कि नयी सरकार बनी है तो सभी विधायक मुख्यमंत्री से मिलकर बधाई देंगे.

ThakurShaktilochan Sandilya
ThakurShaktilochan Sandilya
डिजिटल मीडिया का पत्रकार. प्रभात खबर डिजिटल की टीम में बिहार से जुड़ी खबरों पर काम करता हूं. प्रभात खबर में सफर की शुरुआत 2020 में हुई. कंटेंट राइटिंग और रिपोर्टिंग दोनों क्षेत्र में अपनी सेवा देता हूं.

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