मोहनिया सदर. प्रखंड मुख्यालय परिसर में विगत सात अगस्त 2024 को मंत्री सहित मनरेगा डीपीओ ने मुख्यालय परिसर में मनरेगा भवन के आसपास एक दर्जन पौधारोपण किया गया. इसमें तीन ही पौधे बचें हुए हैं. इनमें मंत्री द्वारा लगाया गया पौधा भी समाप्त हो गया. वहीं, पांच मई 2020 में तत्कालीन एसडीएम व नौ नवंबर 2020 में एसडीएम द्वारा प्रखंड मुख्यालय परिसर में अपने नाम का पौधारोपण किया गया था. लेकिन, उन पौधों को मवेशियों से बचाने में पूरी तरह विफल रहें. इसका नतीजा है कि इन लोगों के हाथों लगाये गये पौधे भी अपनी पहचान खो चुकें है. इतना ही नहीं सात विश्व पर्यावरण दिवस व पांच पृथ्वी दिवस बीत गये, लेकिन मुख्यालय परिसर में पौधारोपण नहीं किया गया. वर्ष 2019 से 2023 के बीच नगर प्रशासन की ओर से प्रखंड परिसर में एक भी पौधारोपण नहीं कराया गया था. वर्ष 2016 से 2018 के बीच परिसर में किये गये 400 पौधारोपण में से 399 पौधों को प्रशासनिक लापरवाही के कारण बकरियों ने अपना निवाला बना लिया. इसके बाद से आज तक प्रशासन की ओर से मुख्यालय परिसर में पौधारोपण नहीं कराया गया. आप सोच सकते हैं कि जब प्रशासन अपनी नाक के नीचे लगाये गये पौधों को नहीं बचा सका, तो दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किये गये पौधारोपण और उनकी सुरक्षा तो भगवान भरोसे ही होगी.
अधिकारियाें ने अभियान चलाकर लगाये थे पौधे
2018 में तत्कालीन अधिकारियों ने पर्यावरण सह पौधारोपण अभियान के तहत जिले के सभी प्रखंडों में लगभग पांच लाख पौधारोपण कराया. इसके बाद पृथ्वी दिवस के अवसर पर नौ अगस्त 2020 को प्रखंड मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर एनएच दो के बगल स्थित देवकली विद्यालय के प्रांगण में जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी ने जिले के आलाधिकारियों के साथ पौधारोपण कर लोगों को पौधों की अहमियत बताया और पूरे जिले में लगभग 20 लाख से अधिक पौधारोपण कराने की बात कही. पर्यावरण को लेकर जिलाधिकारी की इस सराहनीय पहल को कैमूर के लोग कभी नहीं भूल पायेंगे, लेकिन नगर पंचायत प्रशासन व प्रखंड प्रशासन की उदासीनता ने प्रखंड मुख्यालय परिसर को वीरान बना दिया है.प्रभात खबर ने पौधा की सुरक्षा पर उठाया था सवाल
वर्ष 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने पर्यावरण व पौधारोपण अभियान कार्यक्रम के तहत मुख्यालय परिसर में बीडीओ अजय कुमार सिंह ने 200 पौधारोपण कराया. लेकिन, उनको लगभग एक सप्ताह तक बिना गैबियन लगवाये ही भगवान भरोसे छोड़ दिया गया. जिसे बकरियां अपना निवाला बनाने लगी. इसको लेकर खबर भी प्रकासित की गयी. लेकिन, इसके बावजूद भी प्रशासन एक भी पौधें को बचाने में कामयाब नहीं हो सका. अधिकारी पौधों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं रहे. इसका नतीजा है कि आज प्रखंड मुख्यालय परिसर वीरान होता जा रहा है. जिस बीआरजीएफ भवन के सामने उस समय दर्जनों पौधे लगाये गये थे, आज वहां एक भी पौधा नहीं है. स्थिति यह है कि मुख्यालय में पौधारोपण व उनकी सुरक्षा को लेकर नगर प्रशासन व प्रखंड प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से बचते नजर आते हैं.
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