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kaimur News : हर महीने जिले से गायब हो रहीं 35 से 40 लड़कियां

परिजन दर्ज करा रहे अपहरण के मामले, बरामदगी में पुलिस के छूट रहे पसीने, लड़कियों को बरामद करने में मुंबई से लेकर गुजरात तक की लगानी पड़ रही है दौड़

भभुआ कार्यालय. घर से लड़कियों के गायब होने का मामला पुलिस के लिए अब बड़ा सिर दर्द बन गया है. आलम यह है कि जिले में हर महीने औसतन 35 से 40 लड़कियां घर से गायब हो जा रही हैं. परिजनों द्वारा इसे लेकर थाने में अपहरण की प्राथमिक की दर्ज करायी जा रही है. अपहरण का मामला सामने आने पर जब पुलिस इसकी गंभीरता से जांच करती है और लड़की को बरामद करती है, तो पता चलता है कि मामला प्रेम-प्रसंग का है. लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि लड़की के अपहरण के दर्ज मामले में उसे बरामद करने में पुलिस के पसीने छूट जा रहे हैं. पुलिस को लड़कियों को बरामद करने में मुंबई से लेकर गुजरात तक का चक्कर लगाना पड़ रहा है. गायब हुई एक लड़की को बरामद करने में एक अनुसंधान करने वाले पुलिस पदाधिकारी को दिल्ली मुंबई गुजरात का चक्कर लगाने में 10 से 15 दिन लग जा रहे हैं.और इस तरह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी ने पुलिस के मुश्किलों को कई गुना बढ़ा दिया है. इस तरह के मामले हर महीने बढ़ते ही जा रहे हैं. पुलिस विभाग के अच्छे खासे संख्या में पुलिस पदाधिकारी लड़कियों के बरामद करने में ही परेशान रह रहे हैं. इस तरह के बढ़ते मामले पुलिस के लिए अब नयी परेशानी का सबब बन गया है.

घर से गायब अधिकतर लड़कियां दिल्ली, मुंबई व गुजरात से हो रही बरामद

बड़ी बात यह है कि घर से गायब होने वाली अधिकतर लड़कियां दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब, हरियाणा व कोलकाता से बरामद हो रही हैं. पुलिस को वहां जाकर उन्हें बरामद करने में कई दिनों का समय लग रहा है. लड़कियों के अपहरण का मामला दर्ज होने के बाद पुलिस तकनीकी अनुसंधान के जरिये पहले लड़कियों के लोकेशन का पता लगती है, तकनीकी अनुसंधान में पता चलता है कि लड़कियां दूसरे राज्य में जैसे मुंबई गुजरात दिल्ली हरियाणा गई हुई है. पुलिस के पदाधिकारी के ऊपर अपहृत हुई लड़की के बरामद करने व अपहरण के दर्द उक्त मामले को निष्पादित करने का दबाव बना रहता है. ऐसे में पुलिस के पदाधिकारियों को लड़की को बरामद करने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है़ लड़की को वहां से बरामद कर लाने में पुलिसकर्मियों को आठ से 10 दिन का समय लग जाता है. इस बीच उक्त पुलिस पदाधिकारी कोई दूसरा काम नहीं कर पाता़ उसके ऊपर अन्य दर्ज मामलों के अनुसंधान का बोझ लगातार बढ़ता ही चला जाता है. कुल मिलाकर पुलिस अपनी शक्ति का अधिकतर इस्तेमाल लड़कियों के बरामद करने में ही करना पड़ रहा है.

इस वर्ष में मई सबसे अधिक 58 लड़कियां घर से हुईं गायब

लड़कियों के गायब होने के मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि इसकी संख्या महीना दर महीना बढ़ता ही जा रही है. इस वर्ष 2025 में पिछले छह महीने में सबसे अधिक मई महीने में 58 लड़कियां जिले भर में घर से गायब हुई हैं. इस तरह से मई महीने में प्रतिदिन करीब दो लड़कियां घर से गायब हो रही थी़ पिछले छह महीनों में जिलेभर में 226 लड़कियां घर से गायब हुई हैं. औसतन 35 से 40 लड़कियां प्रत्येक महीने जिले भर में घर से गायब हो रही है और इन्हें बरामद करने में पुलिस को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं..

पिछले छह महीने में 179 लड़कियां हुईं बरामद

एसपी हरिमोहन शुक्ला ने बताया कि पिछले छह महीनों में 224 लड़कियां घर से गायब हुईं, जिनका अपहरण का मामला दर्ज कराया गया. अधिकतर मामले जांच में प्रेम-प्रसंग के पाये गये़ पुलिस के द्वारा देश के विभिन्न राज्य व महानगरों मुंबई, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व कोलकाता जाकर 179 लड़कियों को बरामद किया गया है.

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