थोक का लाइसेंस लेकर खुदरा में बेच रहे थे इंजेक्शन
दो लड़कों को नशा वाले तीन इंजेक्शन के साथ एसपी ने पकड़ा था
पकड़ाये लड़कों के बताने पर अंजली मेडिकल हॉल में हुई थी छापेमारी
इंजेक्शन के खरीदने का बिल भी नहीं दिखा पाया था दुकानदार
प्रतिनिधि, भभुआ कार्यालय.
शहर के एकता चौक से समाहरणालय जाने वाले रास्ते पर स्थित अंजली मेडिकल हॉल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. दरअसल पुलिस ने नशा में इस्तेमाल किये जाने वाले तीन इंजेक्शन के साथ दो लड़कों को पकड़ा था. जिनके पास उसका पर्चा भी नहीं था. पूछताछ में युवकों ने अंजली मेडिकल से इंजेक्शन लेने की बात बतायी थी. जबकि अंजली मेडिकल हॉल के पास थोक दवा बिक्री का लाइसेंस है. और वह खुदरा में दवा बेचता पाया गया. इसके बाद यह कार्रवाई की गयी है. वहीं अवैध तरीके से बगैर पर्चे का एविल इंजेक्शन खरीद कर खुदरा में बेचा जा रहा था. बड़ी बात यह है कि उक्त इंजेक्शन नशा करने वाले लड़कों ने अधिक कीमत देकर अंजली मेडिकल हॉल से खरीदा था. जबकि बदले में मेडिकल में उन युवकों से न दवा की पर्ची मांगी गयी थी और न ही वैध बिल पर इंजेक्शन को खरीदा था. मतलब अवैध तरीके से नशे में इस्तेमाल के लिए उक्त इंजेक्शन को लाकर शहर में नशे के आदि युवकों को बेचा जा रहा था. यह मामला तब उजागर हुआ जब 27 जून को एसपी ने स्वयं सड़क पर उतरकर अपराधिक प्रवृत्ति के युवकों के खिलाफ अभियान चला रहे थे, तभी दो युवकों को पुलिसकर्मियों ने पकड़ा था, जब उनकी तलाशी ली गयी, तब उनके पैकेट से तीन इंजेक्शन और सीरींज बरामद हुआ था. जब उन लोगों से पूछा गया कि वह इंजेक्शन लेकर कहां जा रहे हैं तो उन्होंने बताया कि उन्होंने यही इंजेक्शन नशा करने के लिए लिया है. उन्हें बगैर पर्ची के अंजली मेडिकल हॉल से अत्यधिक कीमत पर इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया है. जिसके बाद इसकी सूचना डीएम व संबंधित विभाग औषधि नियंत्रण कार्यालय को देकर तत्काल उक्त दुकान पर छापेमारी करायी गयी. जिसमें यह खुलासा हुआ कि दुकानदार थोक दुकान का लाइसेंस लेकर अवैध तरीके से इस तरह के इंजेक्शन की बिक्री कर रहा है.
15 में से सात दवाओं की नहीं दिखायी गयी खरीद की बिल
एसपी के निर्देश पर जब औषधि निरीक्षक ने पुलिस की मौजूदगी में अंजली मेडिकल हॉल पर छापेमारी की तो उनसे सबसे पहले जो उन्होंने युवकों को इंजेक्शन बेचा था उसके खरीद का बिल मांगा गया. लेकिन. इंजेक्शन के खरीद का बिल नहीं दिखाया गया. इसके अलावा दुकान की जांच में कुल अन्य 15 दवाओं की खरीद की बिल जांच टीम ने मांगी, लेकिन दुकान के मालिक ने 15 में से सिर्फ सात दवाओं के ही खरीद का बल उपलब्ध कराया. इस तरह से बगैर बिल पर खरीदारी व खुदरा में दवा की बिक्री की जा रही थी. वहीं जब ड्रग इंस्पेक्टर ने दवा दुकान के लाइसेंसधारी से स्पष्टीकरण मांगा तो स्पष्टीकरण भी विभाग को नहीं दिया गया,इसके बाद उनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है