परबत्ता. प्रखंड के कुल्हड़िया पंचायत स्थित विवाह भवन में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मंगलवार को कार्यशाला आयोजित किया गया. पूर्व मुखिया प्रतिनिधि धनंजय कुमार तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया गया. कार्यशाला में पौधा संरक्षण मुंगेर प्रमंडल के निदेशक डॉ श्वेता कुमारी, वरीय वैज्ञानिक सह सहायक प्राध्यापक पौध संरक्षण डॉ चंदा कुशवाहा, कनीय वैज्ञानिक सह सहायक प्राध्यापक डॉ शशि प्रकाश, कनीय वैज्ञानिक सह सहायक प्राध्यापक शशि कुमार शाह, कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ जितेंद्र कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र उद्यान रूपम रानी ने शुभारंभ किया. कार्यशाला में क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने भाग लिया. कार्यशाला में अधिकारियों ने किसानों को केला उत्पादन तकनीक, केला की वैज्ञानिक खेती, केला संवर्धन व केला में रोग निवारण के बारे जानकारी दी.. इसके बाद वैज्ञानिकों की टीम ने खेत में लगे केले की पौधे का निरीक्षण किया. फसल में ब्यूवेरिया बेसियाना का उपयोग कर राइजोम वीवील के कंट्रोल के बारे में प्रयोगात्मक विधि किसानों को बताया. साथ ही कीप की सहायता से निर्मित ट्रैप द्वारा राइजोम वीवील व सूइडोस्टीम वीवील के कंट्रोल के बारे जानकारी दी. उन्होंने किसानों को कहा कि केला में लगने वाले व्हाइट गरबस, स्केरी बीटल राइजोम वीवील के बारे में जानकारी दी. किसानों ने केला में गलवा बीमारी के रोकथाम पर सवाल भी उठाया गया. जिस पर वैज्ञानिकों द्वारा खुशी जतायी गयी कि यहां के जागरूक किसान द्वारा ट्राइकोडर्मा रीजेंट फिरोडोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. वैज्ञानिक द्वारा केला की खेती तीन वर्ष करने के पश्चात् फसल विविधीकरण अपनाने की सलाह दी, जिससे गलवा रोग नियंत्रण हो सकेगा. तीन वर्ष तक लगाने के बाद धान, दलहनी, ढैंचा फसल तीन वर्षों तक लगाने की सलाह दी. मुंगेर प्रमंडल निदेशक डॉ श्वेता कुमारी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि विभाग द्वारा चलायी जा रही उद्यान फसल पर फेरोमोन ट्रैप, किटनाशी संबंधी अनुदान दिया जा रहा है. मौके पर प्रखंड उद्यान पदाधिकारी परबत्ता अनीश कुमार, सहायक तकनीकी प्रबंधक सह कृषि समन्वयक अभिनव कुमार, सहायक तकनीकी प्रबंधक सह आईसीएस प्रबंधक दीपक कुमार स्कंद, किसान सलाहकार बैकुंठ कुमार आदि उपस्थित थे.
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