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जाति के ढांचे को तोड़ने के लिए अंतरजातीय विवाह को देना होगा बढ़ावा: डॉ नीलिमा

जाति के ढांचे को तोड़ने के लिए अंतरजातीय विवाह को देना होगा बढ़ावा: डॉ नीलिमा

मधेपुरा. टीपी कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग की ओर से गुरुवार को वर्ण, जाति और भारतीय समाज-संस्कृति विषय पर संवाद का आयोजन किया गया. मौके पर मुख्य वक्ता मगध विश्वविद्यालय बोधगया के दर्शनशास्त्र विभाग की पूर्व अध्यक्ष व केएसडीएसयू दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो डॉ नीलिमा सिन्हा ने कहा कि भारतीय संस्कृति सामाजिक संस्कृति है. समय-समय पर विभिन्न धर्मों व संस्कृतियों के लोग भारत में आए और इसकी मूल संस्कृति में घुलमिल गये. उन्होंने कहा कि भारत एक धर्म प्रधान देश है. यदि भारत को समझना है, तो हमें यहां के धर्म व आध्यात्म को समझना होगा. आइसीपीआर द्वारा आयोजित था संवाद उन्होंने कहा कि वर्ण गुण व कर्म पर आधारित एक आदर्श व्यवस्था है, लेकिन जाति का निर्धारण जन्म से होता है. जाति के ढांचे को तोड़ने के लिए हमें अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना होगा और जाति-आधारित सुविधाएं देनी बंद करनी होंगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते प्रधानाचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों के व्याख्यानों का आयोजन होता रहता है. संचालन विभागाध्यक्ष डॉ सुधांशु शेखर ने कहा कि यह संवाद भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आइसीपीआर) नई दिल्ली के स्टडी सर्किल योजनांतर्गत आयोजित किया गया है. यह इस श्रंखला का अंतिम संवाद था. संवाद में दर्जनों विद्वान हुए शामिल संवाद कार्यक्रम में डॉ ईश्वर चंद्र, डॉ कृष्ण, डॉ मधु सिंह, शिवांगी द्विवेदी, डॉ चिंकू, डॉ उमेश, डॉ बमबम, शोभा, डॉ अजीत कुमार, डॉ दीनानाथ शाह, अजय कुमार, सौरभ चौहान, संजय कुमार, सुखदेव यादव, डॉ मेघा, अभिषेक कुमार, डॉ दीनानाथ शाह, डॉ नरेश कुमार शर्मा, सोनू कुमार, आलोक टंडन, सौरभ द्विवेदी, संतोष कुमार, चंदन कुमार, डॉ चंद्रशेखर, अनंत पांडे, डॉ उमेश, डॉ मिथिलेश कुमार, सीडी ठाकुर, अजय, अनिल कुमार, अनुराग कुमार सिंह, आशीष, अशोक कुमार, चांदनी कुमारी, गोपाल गुप्ता, गुड्डु कुमार, डॉ हिमांशु शेखर सिंह, कृतिका पाठक, प्रीति सिंह, महेश्वर, मनीष भारद्वाज, राज आनंद, वैष्णवी, सरवन कुमार, साक्षी कुमारी, पवन कुमार, राज राजेश कुमार आदि शामिल थे.

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