Motihari: चकिया. सनातन धर्म में चातुर्मास शुरू होते ही मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. लेकिन इस दौरान पूजा-पाठ, व्रत अनुष्ठान और साधना काफी उत्तम माने गए है . विशेषकर चातुर्मास में की गई ब्रजधाम यात्रा अनंत पुण्यदाई है. इस बार चातुर्मास की शुरुआत रविवार 6 जुलाई देवशयनी एकादशी के दिन होगी और इसका समापन 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर होगा. उक्त बातें चकिया प्रखंड स्थित वैदिक गुरुकुलम चम्पारण ”काशी” के आचार्य अभिषेक कुमार दूबे, आचार्य आशुतोष कुमार द्विवेदी आचार्य रोहन पाण्डेय ने संयुक्त रूप से कही.
चातुर्मास में तीर्थ यात्रा का महत्व
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की देवोत्थान या देवउठनी एकादशी का समय चतुर्मास कहलाता है.इन चार महीने में किए गए तीर्थ यात्रा को बहुत ही पुण्यकारी माना गया है. चातुर्मास में भगवान कृष्ण की ब्रज नगरी में जरूर जाना चाहिए .इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि, चातुर्मास में पृथ्वी के सभी तीर्थ यहीं निवास करते हैं.तीर्थों का तीर्थ है कृष्ण नगरी बृजधाम. श्रीगर्ग संहिता के अनुसार, चतुर्मास के समय भू-मंडल के सभी तीर्थ ब्रजधाम आकर निवास करते हैं.
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