Motiharai : मोतिहारी.धान की रोपनी के लिए जून का अंतिम और जुलाई का शुरुआती पखवाड़ा बेहद अहम माना जाता है. आमतौर पर इस दौरान मौसम रोपनी के अनुकूल होता है, लेकिन इस बात मौसम की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. मौसम के बेरुखी और बारिश की कमी के कारण धान की रोपनी की रफ्तार काफी धीमी पड़ गयी है. अब तक जिले में औसतन केवल केवल 10 से 12 प्रतिशत खेतों में ही धान की रोपनी हो पायी है. कई प्रखंडों में यह आंकड़ा महज 8 से 9 प्रतिशत तक ही सीमित है. कृषि विभाग ने पूर्वी चम्पारण जिले में एक लाख 87 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन लक्ष्य से काफी पीदे है धान की रोपनी है. शेष किसान मानसून की अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. पंप सेट से खेती तो कर रहे हैं लेकिन आकाश की ओर बारिश के लिए टक टकी लगाये हुए है. किसानों की माने तो अगर तीन चार दिनों में बारिश नहीं हुई तो सूखे का संकट आ सकता है. वहीं किसानों ने जनप्रतिनिधियों से बंद नहर व नलकूप ठीक करा पानी की मांग खेती के लिए की है. नहीं हुआ तो असर चुनाव पर दिख सकता है. बारिश होने से किसानों को होगी बड़ी बचत: धान की रोपनी के लिए खेतों में भरपूर पानी की आवश्यकता होती है. यदि समय पर अच्छी बारिश हो जायें, ती किसानों को सिंचाई पर खर्च नहीं करना पड़ता, जिससे लाखों रुपये की बचत होती है. यही वजह है कि किसान लगातार बारिश का इंतजार कर रहे हैं. पानी के बिना बीचड़ा भी झुलस रहे हैं. सुबह से धूप-छांव का चलता रहा खेल, गर्मी से बेहाल रहे लोग: मानसून रूठ चुका है. रविवार को सुबह से ही कभी बादलों की छांव तो कभी तेज धूप निकलने से लोग गर्मी से बेहाल नजर आये. अधिकतम पारा 36 डिग्री रिकार्ड किया गया. पूरे दिन धूप छांव का खेल चलता रहा. गर्मी से बचने के लिए लोग बाजारों में छाता लगाकर या फिर कपड़े से चेहरा ढककर निकलते देखे जा रहे हैं. रात में लोग अपने-अपने छतों, स्टेडियम, गली व मुहल्लों में घूमते नजर आये. पुरवा हवा भी उमस से राहत नहीं दे पा रही थी. लोगों में बेचैनी रही. गर्मी 43 डिग्री जैसी महसूस हुई. सुबह के समय न्यूनतम पारा 29.4 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. दोपहर में अधिकतम पारा 36.9 डिग्री रिकार्ड किया गया.
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