मोतिहारी. अब छह महीने में ही सबसे खतरनाक स्टेज मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी का सफल इलाज हो सकेगा. इसके लिए नई दवा बीपॉलएम रेजीमेंट लांच की गयी है. इस दवा के उपयोग से लंबे समय तक दवा खाने की जरूरत नहीं होगी. टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई कोशिश की जा रही है. इसी क्रम में एमडीआर टीबी के लिए नई दवा बीपॉल एम रेजीमेंट की लॉन्च किया गया है, जो सरकारी अस्पतालों में मिलेगा. यह दवा बिल्कुल निःशुल्क होगी. जिसे खाने से अब 6 माह से 9 माह में एमडीआर टीबी मरीज ठीक हो जायेंगे. इसे 14 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही दी जाएगी. यह सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है. अब चिकित्सकों की सलाह से मरीजों को दवा उपलब्ध कराया जा सकेगा. इसको लेकर जिला यक्ष्मा केंद्र की देखरेख में सुपरवाइजरों को प्रशिक्षित किया गया है. संचारी रोग पदाधिकारी डॉ संजीव कहा कि जिले से बीपाल्म रेजिमेन के तहत ड्रग रेजिस्टेंट टीबी मरीजों को दवा देने की शुरुआत जल्द ही की जाएगी. यह दवा एमडीआर के उपचार में काफी असरदार है.
गलत तरीके से दवाओं के सेवन से हो सकता है एमडीआर
एमडीआर टीबी की समस्या टीबी के मरीजों में इलाज के दौरान गलत तरीके से दवाओं के सेवन करने या दवा का पूरे कोर्स का सेवन नहीं करने से होती है. चिकत्सकों की माने तो जब मरीज टीबी का इलाज करा रहा होता है, उस दौरान टीबी की दवाओं का सही तरीके से सेवन न होने या दुरुपयोग होने की वजह से एमडीआर टीबी हो जाता है.
मरीज के संपर्क में आने से भी होता है एमडीआर
एमडीआर टीबी का दूसरा सबसे बड़ा कारण एमडीआर मरीज के संपर्क में आना है. सीडीओ संजीव कुमार ने बताया कि ऐसे मरीज जो एमडीआर टीबी की समस्या से पीड़ित हैं, उनके संपर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है. इस समस्या में मरीजों के शरीर में मौजूद ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हो जाते हैं. उन पर दवाओं का असर बिल्कुल भी नहीं होता है.
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