चकिया. निर्जला एकादशी साल की सबसे प्रमुख और कठिन एकादशी मानी जाती है. यह ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है. इस दिन व्रती बिना जल के उपवास करते है. इसलिए इसे निर्जला कहा जाता है. निर्जला एकादशी पूरी तरह से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है और इसे सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है. इस शुभ दिन पर लोग प्रार्थना करते हैं, निर्जला व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मांगते हैं. पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन या एकादशी तिथि को होती है, जो इस वर्ष 6 जून को है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. चूंकि, निर्जला एकादशी शुक्ल पक्ष के दौरान आती है. इसलिए इसे ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी भी कहा जाता है. निर्जला व्रत बिना भोजन या पानी के रखा जाता है. द्वादशी तिथि पर भक्तों को अपना उपवास पारण के बाद पूर्ण करना चाहिए. उक्त बातें चकिया प्रखंड परसौनी खेम स्थित महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र चम्पारण काशी वैदिक गुरुकुलम के आचार्य अभिषेक कुमार दूबे, आचार्य आशुतोष कुमार द्विवेदी, आचार्य रोहन पाण्डेय ने संयुक्त रूप से कही.
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