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सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ खरीफ फसल की खेती की तैयारी हुई शुरू

सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही किसानों की निगाहें आकाश की ओर टिक जाती हैं.

मधुबन. सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही किसानों की निगाहें आकाश की ओर टिक जाती हैं.परंपरागत कृषि मान्यताओं के अनुसार यह काल वर्षा के स्वरूप का संकेतक माना जाता है. यदि रोहिणी के दौरान गर्मी प्रचंड हो,आकाश साफ रहे और लू चले,तो अच्छी मानसूनी वर्षा की संभावना बढ़ जाती है.किसानों का मानना है कि रोहिणी में अधिक तपिश समुद्र से वाष्पीकरण को तेज करती है, जिससे बादलों का निर्माण होता है.यही कारण है कि कहा जाता है.””””””””””””””””रोहिणी में जितनी धूप,उतनी बूंद”””””””””””””””” इस अवधि में बादल छाए रहें या वर्षा हो जाए,तो यह संकेत अच्छे नहीं माने जाते.मधुबन,तेतरिया,पकड़ीदयाल फेनहारा व पताही व आसपास के क्षेत्रों में किसानों ने खेतों की जुताई तेज कर दी है.अधिकांश किसान रोहिणी नक्षत्र के मौसम को देखकर ही धान,मक्का व अन्य खरीफ फसलों की बुआई की योजना बनाते हैं. बीएओ प्रभात ने बताया कि रोहिणी और नौतपा का मौसम कृषि के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.इस दौरान किसानों को खेतों की तैयारी,बीज चयन और जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिए.यदि यह समय अधिक गर्म होता है,तो सामान्यत:मानसून संतुलित रहता है, जिससे धान की फसल को लाभ होता है.

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