मोतिहारी. रमजान में की जाने वाली इबादतों में से एक एतकाफ भी है. रमजान मुबारक महीने के तीसरे अशरे यानि आखिर के 10 दिनों में कुछ मुसलमान एतकाफ में बैठते हैं. एतकाफ रमजान की प्रमुख इबादतों में से एक है. इसमें रोजेदार दस दिनों तक मस्जिद या घर में रहकर केवल इबादत और अल्लाह के जिक्र में समय बिताते हैं. वे बाहरी दुनिया से दूर रहते हैं. सिर्फ जरूरी बातचीत करते हैं. एतकाफ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ठहर जाना और ख़ुद को रोक लेने के हैं. उक्त बातें जीवधारा बापूधाम चंद्रहिया निवासी इस्लामिक स्कॉलर हकीम मोतिउल्लाह ने कही. बताया कि रमजान का आखिरी अशरा चल रहा है. बताया कि मस्जिदों में तीसरा अशरा शुरू होने के साथ लोग एतकाफ में बैठ गये हैं. यह तीसरा अशरा जहन्नम से निजात के लिए जाना जाता है. हर मुसलमान को इस अशरे में जहन्नुम की आग से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा दुआ करनी चाहिए. आखिरी अशरा बहुत अहम है इस अशरे में चमत्कारी मगफिरत की रात लैलतुल कद्र भी आती है .
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