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Motihari: केंद्र व राज्य की रजामंदी के बाद भी रक्सौल एयरपोर्ट की फाइल का हो रहा है स्लो मूवमेंट

रक्सौल में एयरपोर्ट निर्माण के लिए केंद्र और राज्य की रजामंदी के बाद भी फाइल का मूवमेंट सरकारी कार्यालयों में काफी स्लो चल रहा है.

Motihari: रक्सौल.भारत-नेपाल की सीमा पर बसे इंटरनेशनल टाउन रक्सौल में एयरपोर्ट निर्माण के लिए केंद्र और राज्य की रजामंदी के बाद भी फाइल का मूवमेंट सरकारी कार्यालयों में काफी स्लो चल रहा है या यह भी कह सकते हैं कि इस प्रोजेक्ट को गैर जरूरी समझकर सरकारी बाबुओं ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. बीते 10 जनवरी 2025 को रक्सौल के साथ-साथ इस पूरे इलाके के लोगों के अंदर खुशी का प्रवाह हुआ था जब मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में रक्सौल एयरपोर्ट को शुरू करने के लिए अतिरिक्त 139 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए स्टेट गवर्मेंट ने 207 करोड़ 70 लाख 46 हजार रुपये की अनुमति दी. उम्मीद जगी कि कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद अब कुछ ही महीनों में इस प्रोजेक्ट की फाइल गति लेगी और रक्सौल एयरपोर्ट का शिलान्यास हो सकेगा. लेकिन जनवरी से मई तक का महीना बीत चुका है, अब तक इस मामले में केवल खाता, खेसरा, जमाबंदी को अपडेट करते हुए अंचल कार्यालय के द्वारा रैयतों की सूची तैयार की गयी है. अब फाइल, रक्सौल से निकलकर मोतिहारी और पटना की तरफ गयी है. जहां से रिस्पांस आना बंद है. इस मामले में जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई को पूरा कर राज्य सरकार को यह जमीन भारत सरकार के केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय को सौंपनी है.

किस लेवल पर हो रही है देरी

यदि मांग की अनुसार जमीन के अधिग्रहण का काम तेजी से पूरा करते हुए बिहार सरकार केंद्र सरकार को सौंपती है तो इसके बाद केंद्र सरकार इसके लिए एजेंसी का चयन कर रक्सौल एयरपोर्ट के लिए डीपीआर तैयार करायेगी. इससे पहले प्रारंभिक सर्वे में रक्सौल के लिए अतिरिक्त जमीन की डिमांड एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के द्वारा की गयी थी. जिसके बाद राज्य कैबिनेट ने जमीन के अधिग्रहण की मंजूरी दी थी, अब अंचल से लेकर जिला भूमि अधिग्रहण कार्यालय तक इस फाइल के मूवमेंट में पांच माह से अधिक का समय बीत चुका है. एयरपोर्ट का शिलान्यास, इसका निर्माण और फिर संचालन यह तो लंबी प्रक्रिया है, पहली प्रक्रिया ही जब लगभग 6 माह में पूरी नहीं हो पायी तो बाकी के पूरा होने में कितना वक्त लगेगा, इसको सहज समझा जा सकता है. अंचलाधिकारी रक्सौल शेखर राज ने बताया कि अंचल स्तर से जो प्रक्रिया होनी थी, उसको पूरा कर लिया गया है. आगे जिला स्तर का काम है, वहां के लोग बेहतर बता सकते हैं. दूसरी तरफ एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि विभाग के स्तर से रक्सौल एयरपोर्ट को लेकर कभी कोई प्रक्रिया नहीं की जा रही है. दोनों अधिकारियों के बयान से यह साफ है कि जनप्रतिनिधि भले ही रक्सौल एयरपोर्ट को लेकर जो भी दावा करें, सरकारी कार्यालय में इसके फाइल की प्रगति संतोषजनक नहीं है.

सीएम ने की थी घोषणा

मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जब प्रगति यात्रा पर मोतिहारी आए थे, उस वक्त भी उन्होंने रक्सौल एयरपोर्ट को चालू करने की बात कहीं थी. स्थानीय सांसद डॉ. संजय जायसवाल लगातार इसको लेकर कई तरह का दावा वर्षों से करते आ रहे हैं, लेकिन सरकारी कार्यालयों में हो रही देरी के कारण उनका हर दावा फेल होता दिख रहा है. भारत-नेपाल सीमा पर स्थित होने के कारण रक्सौल का हवाई अड्डा काफी महत्वपूर्ण है. नेपाल में सीमा से सटे एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण हो रहा है जो कि भविष्य में भारत के खतरा हो सकता है. ऐसे में समय रहते रक्सौल एयरपोर्ट का संचालन बहुत जरूरी है.

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