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बिहार में चमकी-बुखार का अलार्म! 2019 की तबाही को याद दिला सीएम नीतीश ने किया सचेत, लापरवाह सीएस नपे

बिहार में एइएस बीमारी ने बच्चों को फिर अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2019 की तबाही की ओर ध्यान ले जाते हुए लोगों को सतर्क किया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी चरम पर है.

AES In Bihar: बिहार में चमकी बुखार(Chamki Bukhar) का प्रकोप एकबार फिर बच्चों के सिर पर मंडराने लगा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे लेकर सचेत भी किया है. वहीं पंचायतों में रात्रि चौपाल लगा कर एइएस बीमारी के बारे में बच्चों को जानकारी देने की अपील ग्रामीणों से अधिकारी कर रहे हैं. रविवार को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में इलाज के लिए पहुंची एक बच्ची में एइएस की पुष्टि हुई थी. वहीं इसी दिन चार बच्चे सस्पेक्टेड भर्ती हुए थे. सोमवार को दो और बच्चों में एईएस के लक्षण पाए गये हैं.

अस्पतालों में सुविधा की कंगाली, लापरवाही हावी

मुजफ्फरपुर जिले में एइएस को लेकर क्या तैयारी है, इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए केयर इंडिया को लगाया गया था. केयर इंडिया की टीम ने जब जिले के सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण किया तो पाया कि वहां बड़ी लापरवाही पायी. पता चला कि एसओपी के अनुसार दवा ही उपलब्ध नहीं है़ जिसके बाद सिविल सर्जन को इसकी जानकारी दी गयी. रिपोर्ट पर सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल के प्रबंधक व पीएचसी प्रभारियों से जवाब तलब भी किया था.

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन सस्पेंड

उधर बिहार सरकार के उप सचिव शैलेश कुमार ने मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन को सस्पेंड कर दिया है. दरअसल 7 अप्रैल की महत्वपूर्ण बैठक में सीएस गैरहाजिर रहे. वहीं अगले दिन अपर मुख्य सचिव, अन्य अधिकारियों के साथ जांच के लिए आए तो कई लापरवाही देखी गयी. जब सीएस को खोजा गया तो वो गायब दिखे. जिसके बाद कार्रवाई की गयी.

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मुख्यमंत्री ने किया सचेत

एइएस के खतरे को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार ने भी लोगों को जागरूक किया और कहा कि बच्चा यदि रात में नहीं खाया तो समझ लीजिए खतरे का संकेत है. इसके लिए सभी को सजग रहना है और बच्चे को रात में खाना खिलाकर ही सुलाना है. जिस तरह गर्मी बढ़ रही है, उससे बीमारी की आशंका ज्यादा है, इसलिए सब लोग इस बात का ख्याल रखें.

एइएस की रोकथाम के लिए कई काम किये गये- सीएम

सीएम ने कहा कि 2019 में मुजफ्फरपुर में एइएस काफी बढ़ा हुआ था. एइएस की रोकथाम के लिए कई काम किये गये हैं. प्रभावित पांच प्रखंडों में आर्थिक-सामाजिक सर्वेक्षण कराया गया. लोगों के मकान हैं या नहीं, शौचालय और राशन कार्ड है या नहीं, इसका सर्वे किया गया और वंचित परिवारों को मुख्य धारा में लाने की पहल की गयी.

बीमार बच्चों के बारे में..

बता दें कि रविवार तक मिली जानकारी के मुताबिक, अबतक बीमार हुए बच्चों में सात बच्चे और चार बच्ची हैं. वहीं इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत हो चुकी है. वहीं पांच केस मुजफ्फरपुर के, तीन मोतिहारी के, दो सीतामढ़ी के और एक अररिया के थे. वहीं सोमवार को दो और बच्चों में इसके लक्षण मिले हैं.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar Digital Desk
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